Krishna Janmashtami: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व न सिर्फ भक्ति से भरा होता है, बल्कि इसमें घर-घर में खुशियां और उत्साह का माहौल होता है। इस दिन बहुत से लोग अपने घर में लड्डू गोपाल को विराजमान करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं, कान्हा जी की स्थापना के लिए वास्तु और पूजा के कुछ खास नियम होते हैं? अगर इन्हें न मानें तो भक्ति का असर कम हो सकता है और कई बार इसका उल्टा प्रभाव भी पड़ सकता है।
इसलिए जन्माष्टमी के बाद लड्डू गोपाल को स्थायी रूप से घर में स्थापित करने से पहले इन बातों का ध्यान जरूर रखें।
सही दिशा में करें स्थापना

लड्डू गोपाल को हमेशा घर के उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) में ही स्थापित करना चाहिए। यह दिशा देवताओं की मानी जाती है और यहीं से घर में सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है। गलत दिशा में स्थापना करने से पूजा का पूर्ण लाभ नहीं मिलता और ऊर्जा का प्रवाह भी कमज़ोर हो सकता है।
राधा जी को साथ रखें
शास्त्रों में कहा गया है कि श्रीकृष्ण राधा के बिना अधूरे हैं। इसलिए लड्डू गोपाल के साथ राधा रानी की मूर्ति भी जरूर स्थापित करें। इससे पूजा पूर्ण मानी जाती है और दोनों की कृपा हमेशा बनी रहती है।
कान्हा को घर का सदस्य मानें
एक बार स्थापना करने के बाद, लड्डू गोपाल को अपना परिवार समझें। जैसे घर के बच्चों का ख्याल रखा जाता है, वैसे ही उनका भी ध्यान रखें। यह भावनात्मक जुड़ाव न केवल आस्था को मजबूत करता है, बल्कि घर में प्रेम, अपनापन और शांति का माहौल बनाए रखता है।
बांसुरी और मोरपंख : कान्हा की पहचान
कान्हा जी के बिना बांसुरी और मोरपंख अधूरे हैं। मूर्ति के साथ एक लकड़ी की बांसुरी और सिर पर मोरपंख का मुकुट ज़रूर लगाएं। मान्यता है कि मोरपंख घर में सुख-शांति और समृद्धि लाता है, वहीं बांसुरी से भगवान हमेशा प्रसन्न रहते हैं और घर में प्रेम का माहौल बना रहता है।
रोज़ाना सेवा और भोग
लड्डू गोपाल सिर्फ मूर्ति नहीं, बल्कि घर के सदस्य बन जाते हैं। उन्हें रोज़ाना माखन और मिश्री का भोग लगाएं क्योंकि यह उनका प्रिय भोजन है। इसके साथ ही प्रतिदिन वस्त्र बदलना, जल चढ़ाना और आस-पास की साफ-सफाई बनाए रखना बेहद जरूरी है। यह सेवा न केवल भक्ति को गहरा करती है, बल्कि घर में सकारात्मकता भी लाती है।
सेवा न कर पाने की स्थिति में
अगर किसी वजह से आप रोजाना सेवा नहीं कर पा रहे, तो मूर्ति को यूं ही बिना पूजा के न छोड़ें। इस स्थिति में आप मूर्ति को किसी योग्य भक्त को सौंप दें, या फिर साफ कपड़े में लपेटकर सुरक्षित स्थान पर रख दें। सीधे विसर्जन को अंतिम विकल्प मानें, जब कोई और रास्ता न हो।
Disclaimer : यहां दी गई सारी जानकारी केवल सामान्य सूचना पर आधारित है। किसी भी सूचना के सत्य और सटीक होने का दावा Ghamasan.com नहीं करता।