जानिए कब है शीतला अष्टमी, क्या है इसका महत्व, क्यों लगता है बासी भोजन का भोग?

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By Ayushi JainPublished On: March 30, 2021

हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार जो भक्त सच्चे मन से मां शीतला माता की पूजा करता है और उनके लिए व्रत रखता है उसके सभी कष्ट और रोग ख़त्म हो जाते हैं। हिन्दू धर्म में शीतला अष्टमी का काफी ज्यादा महत्व माना गया है। मां शीतला का व्रत करने से शरीर निरोगी होता है और चेचक जैसे संक्रामक रोग में भी मां भक्तों की रक्षा करती हैं। इसके लिए घरों में ठंडा खाना यानी एक दिन पहले खाना बनाया जाता है जिसे शीतला अष्टमी के दिन खाते है। आज हम आपको शीतला अष्टमी कब है और उसका क्या महत्व है उसके बारे में आपको बताने जा रहे है तो चलिए जानते है –


पूजा मुहूर्त –

इस साल तला अष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त 4 अप्रैल 2021 को सुबह 6 बजकर 8 मिनट से शुरू होकर शाम 6 बज कर 41 मिनट तक रहेगा। वहीं पूजा की कुल अवधि 12 घंटे, 33 मिनट की रहेगी।

व्रत

आपको बता दे, ये एकमात्र ऐसा व्रत है जिसमें बासी भोजन चढ़ाया और खाया जाता है। कहा जाता है इस दिन घर में चूल्हा नहीं जलता और भोजन एक दिन पहले बन जाता है।

स्‍वच्‍छता का ध्‍यान रखें –

मां शीतला की पूजा-अर्चना में स्‍वच्‍छता का पूरा ख्‍याल रखना चाहिए। इस दिन सबसे पहले प्रात: काल उठ कर स्नान करना चाहिए। उसके बाद फिर व्रत का संकल्प लें और पूरे विधि-विधान से मां शीतला की पूजा करनी चाहिए।

शीतला माता का स्वरुप –

क्योतिषो के अनुसार शीतला माता गर्दभ यानी गधे की सवारी करती हैं। कहा जाता है कि उन्होंने अपने एक हाथ में कलश पकड़ा हुआ है और दूसरे हाथ में झाडू है। इस कलश में लगभग 33 करोड़ देवी-देवता वास करते हैं।

बासी भोजन का भोग –

इस व्रत वाले दिन यानी कि शीतलाष्टमी की सुबह ही नित्यकर्म और स्नान करने के बाद मां की पूजा के करते हुए उन्हें बासी भोजन का भोग लगाया जाता है। उसके बाद यह खाना ही प्रसाद के तौर पर घर के अन्य सदस्यों को दिया जाता है।