जानें कब है निर्जला एकदाशी? ये है व्रत नियम और धार्मिक महत्व

Author Picture
By Ayushi JainPublished On: June 10, 2021

ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी को निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस एकादशी को भीम सैनी एकादशी भी कहा जाता है। निर्जला एकादशी पर निर्जल रहकर भगवान विष्णु की आराधना की जाती है। यह व्रत काफी कठिन होता है। साल 2021 में यह तिथि 20 जून को शाम 4:21 बजे से शुरू होगी तथा इसका समापन 21 जून को दोपहर 01:31 बजे होगा।

हिंदू पंचांग के मुताबिक उदया तिथि में निर्जला एकादशी का व्रत 21 जून को रखा जाएगा। वहीं व्रत का पारण 22 जून को किया जाएगा। ये पूर्णिमा से पहले वाली एकादशी है। दरअसल, व्रत करने के एक दिन पहले भी सिर्फ सात्विक भोजन करना चाहिए। मान्यताओं के अनुसार, जीवन में मनुष्य को निर्जला एकादशी का व्रत अवश्य रखना चाहिए। निर्जला एकादशी व्रत को पांडव एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।

इस व्रत का पालन महाभारत काल में भीम ने भी किया था और इसी व्रत के फल से उन्हें स्वर्गलोक की प्राप्ति हुई थी। दरअसल, निर्जला एकादशी व्रत को करने से मोक्ष की प्राप्ति तो होती है और मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं। एकादशी के व्रत में भगवान विष्णु की पूजा पूरे विधि-विधान के साथ की जाती है। कहा जा रहा है कि निर्जला एकादशी व्रत काफी कठिन होने के कारण इसमें साल की सभी एकादशी व्रत का फल भी निहित होता है।

दरअसल, एक माह में दो बार एकादशी की तिथि आती है। ऐसे में साल में कुल मिलाकर 24 एकादशी पड़ती हैं। इसलिए ऐसे में कहा जाता है कि निर्जला एकादशी का व्रत कर लेने से सभी एकादशी का फल मिल जाता है। लोगों को सुबह से स्नान आदि नित्यकर्म के बाद विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा करना चाहिए। उपवास रखना चाहिए। इसके अलावा दान पुण्य जरूर करना चाहिए।