अप्रैल में इस तारीख से गूजेंगी शहनाई, इस दिन खत्म होगा खरमास, देखें शुभ विवाह मुहूर्त

खरमास, जो सूर्य के मीन राशि में प्रवेश करने के साथ शुरू होता है, 14 अप्रैल को समाप्त होगा जब सूर्य मेष राशि में प्रवेश करेंगे, और इसके बाद शुभ कार्यों की शुरुआत होगी। अप्रैल में विवाह के शुभ मुहूर्त भी हैं, जिसमें 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया का विशेष मुहूर्त है। इसके बाद, देवशयनी एकादशी 6 जुलाई को होगी, जब चातुर्मास शुरू होगा और मांगलिक कार्यों पर रोक लगेगी।

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खरमास वह विशेष समय होता है, जब शुभ कार्यों जैसे विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन और अन्य मांगलिक कार्यों पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। इसे धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत महत्व दिया जाता है, और इस समय को ग्रहों की नकारात्मक ऊर्जा के प्रभाव के रूप में देखा जाता है। खासतौर पर, यह माना जाता है कि इस अवधि में सूर्य की ऊर्जा में कमी होती है, जिससे शुभ कार्यों का संपन्न होना उचित नहीं माना जाता।

खरमास हर साल दो बार आता है। पहला जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करते हैं और दूसरा मीन राशि में प्रवेश करते वक्त। इस दौरान सूर्य की ऊर्जा कमजोर पड़ जाती है, जो शुभ कार्यों के लिए जरूरी मानी जाती है। इस समय का धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से विशेष ध्यान रखा जाता है।

कब खत्म होगा खरमास (Kharmas)? 

खरमास, जो कि हर साल सूर्य के मीन राशि में प्रवेश करने के साथ शुरू होता है, इस बार 14 मार्च को शुरू हुआ था। अब 14 अप्रैल का दिन खास होने वाला है! इस दिन, सुबह 3:30 बजे, भगवान सूर्य मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करेंगे, जो राशि चक्र की पहली राशि और मंगल के स्वामित्व में है।

भगवान सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करते ही खरमास का समापन होगा, और इसके साथ ही शुभ कार्यों का दौर फिर से शुरू होगा। यानि 14 अप्रैल से विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन और अन्य मांगलिक कार्यों के लिए शुभ अवसर फिर से आ जाएंगे।

अप्रैल 2025 में विवाह मुहूर्त

खरमास के समाप्त होते ही शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है, और अप्रैल में विवाह के कुछ शुभ मुहूर्त भी आ रहे हैं। इनमें से प्रमुख मुहूर्त इस प्रकार हैं:

  • 14 अप्रैल, सोमवार
  • 16 अप्रैल, बुधवार
  • 17 अप्रैल, बृहस्पतिवार
  • 18 अप्रैल, शुक्रवार
  • 19 अप्रैल, शनिवार
  • 20 अप्रैल, रविवार
  • 21 अप्रैल, सोमवार
  • 25 अप्रैल, शुक्रवार
  • 29 अप्रैल, मंगलवार
  • 30 अप्रैल, बुधवार (अक्षय तृतीया)

अक्षय तृतीया का विशेष महत्व

अक्षय तृतीया को विशेष रूप से एक अत्यंत शुभ मुहूर्त माना जाता है, जो 30 अप्रैल को है। इस दिन विवाह और अन्य मांगलिक कार्यों के लिए किसी भी प्रकार की शंका नहीं होती।

देवशयनी एकादशी और चातुर्मास

खरमास के बाद, एक और महत्वपूर्ण समय आता है – देवशयनी एकादशी, जो इस साल 6 जुलाई को होगी। इसके बाद भगवान विष्णु 4 महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं। इस समय को चातुर्मास कहा जाता है, और इस दौरान किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य पर रोक लग जाती है। लेकिन, जब देवउठनी एकादशी आती है, जो 1 नवंबर को होगी, तो भगवान विष्णु योग निद्रा से बाहर आते हैं और तब से फिर से सभी शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है।

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