Gupt Navratra 2021: गुप्त नवरात्र में उज्जैन के इन मंदिरों में होती है विशेष साधना, ये है महत्व

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By Ayushi JainPublished On: July 9, 2021
Navratri 2021

आषाढ़ के माह में गुप्त नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है और आषाढ़ का पावन महीना चल रहा है। नौ दिन लोग मां को प्रसन्न करने के लिए व्रत, पूजा, आरती, स्तुति करते हैं। हिंदू धर्म में नवरात्रि पर विशेष पूजा-अर्चना की जाती हैं। गुप्त नवरात्रि तंत्र मंत्र पूजा के लिए विशेष मानी जाती है और हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। इस बार गुप्त नवरात्र 11 जुलाई को रवि पुष्य नक्षत्र के दिव्य संयोग में आरंभ होंगे। ऐसे में इस पर सप्तमी तिथि का क्षय होने से नवरात्र आठ दिन के रहेंगे। देवी आराधना के पर्वकाल में तीन रवि एक सर्वार्थसिद्धि योग रहेगा। दिव्य योग व शुभ संयोगों की साक्षी में साधक सिद्धक्षेत्र उज्जैन में गुप्त साधना करेंगे।

ज्योतिषों के अनुसार, श्रीमद्देवी भागवत में आदि शक्ति मां दुर्गा की उपासना के लिए चार नवरात्र का उल्लेख मिलता है। इऐसे में दो गुप्त व दो प्राकट्य नवरात्र कहे गए हैं। चैत्र और अश्विन मास के नवरात्र प्राकट्य तथा माघ व आषाढ़ के नवरात्र गुप्त नवरात्र कहलाते हैं। बता दे, दिक तंत्र, मंत्र व यंत्रों की साधना के लिए गुप्त नवरात्र का विशेष महत्व बताया गया है।

Gupt Navratra 2021: गुप्त नवरात्र में उज्जैन के इन मंदिरों में होती है विशेष साधना, ये है महत्व

इसके अलावा उज्जैन में माता हरसिद्धि समस्त प्रकार की सिद्धि प्रदान करने वाली मानी गई हैं। ऐसे में नवरात्र में साधक इस सिद्धक्षेत्र में सिद्धि प्राप्ति के लिए गुप्त साधना करते हैं। वहीं उज्जैन का गढ़कालिका मंदिर भी अतिप्राचीन मंदिर है। नवरात्रि में यहां भी बड़ी संख्या में साधक पहुंचते हैं। लेकिन इन दिनों कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस बार केवल दर्शन की अनुमति ही रहेगी। कोई भी बड़े आयोजन नहीं होंगे।

जानें कब है किसकी पूजा, कौन से है विशेष योग –

बता दे,11 जुलाई को घट स्थापना के दिन सुबह 5 बजकर 53 मिनट से पुष्य नक्षत्र का आरंभ होगा। ये रात्रि तक विद्यमान रहेगा। ऐसे में पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की मान्यता है। वहीं 12 जुलाई को बुध का आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश होगा। कहा जा रहा है कि इस दिन मध्य रात्रि में रवि योग बनेगा। जो अगले दिन 13 जुलाई की अपर रात्रि तक रहेगा। इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। इसके अलावा 13 जुलाई-मां चंद्रघंटा का पूजन होगा।

बता दे, 14 जुलाई को रवि योग रहेगा तथा 16 जुलाई को सरस्वती सप्तमी के साथ सूर्य का कर्क राशि में प्रवेश होगा। वहीं मां कुष्मांडा और स्कंदमाता का पूजन। 15 जुलाई- मां कात्यायनी की पूजा की जाएगी। 16 जुलाई- माता कालरात्रि का पूजन होगा। 17 जुलाई को शुक्र मघा नक्षत्र के साथ सिंह राशि में प्रवेश करेगा। इसी दिन सर्वार्थसिद्धि योग के साथ महाअष्टमी रहेगी। माता महागौरी की पूजा होगी। 18 जुलाई को रविवार के दिन भड्डाली नवमी के अबूझ मुहूर्त के साथ गुप्त नवरात्र का समापन होगा। मां सिद्धिदात्री का पूजन होगा।