इस विधि विधान से करें श्री गणेश की स्थापना, ये है पूजन का शुभ मुहूर्त

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By Ayushi JainPublished On: August 15, 2020

गणेश जी को हिन्दू धर्म में सबसे प्रमुख देवताओं में गिना जाता है। श्री गणेश की आराधना हर शुभ काम के लिए की जाती है माना जाता है उनके आशीर्वाद के बिना शुभ काम अधूरे रह जाते हैं। वहीं गणेश चतुर्थी का इंतजार सभी लोग बड़ी ही बेसब्री से करते हैं। लेकिन अब ये इंतजार ख़त्म होने वाला है। ये त्यौहार गणेश चतुर्थी से शुरू होते हुए 10 दिनों के बाद अनंत चतुर्दशी को समाप्त होता है। आपको बता दे, इस बार गणेश चतुर्थी का त्यौहार 22 अगस्त से शुरू हो रही है। आप भी इस दिन बप्पा को अपने घर लाकर विराजमान करके उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

गणेश जी की स्थापना घर-घर में होती है और गलियों-मोहल्लों में भी बड़े-बड़े पांडाल लगाकर श्री गणेश जी की प्रतिमा स्थापित की जाती है। लेकिन इस बार कोरोना के चलते इस त्यौहार की रौनक थोड़ी फीकी रहेगी लेकिन आप अपने घर में इसे बड़ी ही धूमधाम से माना सकते हैं। इसके लिए आज हम आपको गणेश चतुर्थी पर भगवान की मूर्ति को स्थापित करने से पहले किन बातों का ध्यान रखना चाहिए वो बताने जा रहे हैं।

आपको बता दे, महाराष्ट्र, तेलंगाना, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल , गोवा, उड़ीसा, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में गणेश चतुर्थी के त्यौहार को घर मे और सार्वजनिक पंडालों में भगवान गणेश की कच्ची मिट्टी की मूर्तियाँ स्थापित करके परिवारों और समूहों द्वारा मनाया जाता है। लेकिन उत्तर भारत के कुछ राज्यों में इस त्यौहार को मंदिरों में भगवान गणेश की अस्थायी प्रतिमा स्थापित करके मनाते हैं।

शुभ मुहूर्त –

गणेश जी का जन्म दिन के समय हुआ था, इसलिए चतुर्थी के दिन उनकी पूजा दिन के समय की जाती है, 11 बजकर 6 मिनट से लेकर 1 बजकर 42 मिनट के बीच गणेश जी की पूजा करें।

इस विधि से करें गणेश जी की स्थापना –

गणेश जी की मूर्ति स्थापित करने से पहले आप स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। उसके बाद चौकी को गंगाजल से साफ कर उस पर हरे या फिर लाल रंग का स्वच्छ कपड़ा बिछाएं। अब इनके ऊपर अक्षत रखें, फिर अक्षत के ऊपर भगवान गणेश की मूर्ति को स्थान दें। उसके बाद एक बार फिर गंगा जल का छिड़काव करें।

उसके बाद फिर श्री गणेश को जनेऊ धारण कराएं और फिर बाईं ओर अक्षत रखकर घट यानी कि कलश की स्थापना करें। लेकिन इस बात का ध्यान रखे कि इस कलश पर स्वास्तिक का चिन्ह बना होना चाहिए। कलश के भीतर गंगा जल और एक सिक्का डालें। साथ ही आम के पत्ते रखें और नारियल पर धागा बंधा हुआ होना चाहिए। इसके अलावा भगवान गणेश को ध्रुवा बहुत पसंद है कलश स्थापना के बाद उन्हें दूर्वा चढ़ाए और फिर पंचमेवा, मोदक का भोग अर्पित करें। उसके बाद श्री गणेश को फूल-माला, रोली आदि चढ़ाए। उसके बाद श्री गणेश का तिलक करें और इसके बाद अखंड ज्योत जलाए। आखिरी में आपको पूरे विध-विधान के साथ भगवान श्री गणेश की आरती करनी है।