‘लिव इन’ के लिए रजिस्ट्रेशन… मुस्लिम बेटियों को पैतृक संपत्ति में अधिकार, जानें उत्तराखंड के ‘UCC’ की विशेषताएं

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देश भर में वर्षाें से मांग की जा रही यूनिफॉर्म सिविल कोड उत्तराखंड में लागू होने जा रहा है। जिसपर यूसीसी विशेषज्ञ समिति ने अपनी मसौदा रिपोर्ट पुष्कर सिंह धामी को सौंप दिया है। अब इस ड्राफ्ट रिपोर्ट को कानूनी जामा पहनाया जा सकता है। जानकारी के मुताबिक इसे 6 फरवरी को विधानसभा में पेश किया जा सकता है। ऐसे में इसकी विशेषताओं को लेकर लोगों में भ्रंम बना हुआ है।

आपको बता दें उत्तराखंड विधानसभा का बजट सत्र 5 फरवरी से शुरू हो रहा है। ऐसे में सत्र की शुरुआत के अगले ही दिन धामी सरकार इतिहास रच सकती है। विधानसभा से अध्यादेश को मंजूरी दिए जाने के बाद इसे राज्यपाल के पास भेजा जाएगा। राज्यपाल की मंजूरी के बाद उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन जाएगा, जहां समान नागरिक संहिता लागू हो जाए।

विदेशी सभ्यता लिव इन के लिए रजिस्ट्रेशन का प्रावधान
यूनिफॉर्म सिविल कोड में सभी वर्ग के लोगों को लिव इन रिलेशनशिप में रहने के लिए रजिस्ट्रेशन को जरूरी किया जाएगा। लिव- इन रिलेशनशिप में रहने वालों को अपनी जानकारी देना अनिवार्य होगा। ऐसे रिश्तों में रहने वाले लोगों को अपने माता- पिता को भी जानकारी देनी होगी। लिव- इन रिलेशनशिप में रहने वालों के लिए पुलिस में रजिस्ट्रेशन कराना होगा।

भरण-पोषण और मुआवजे पर जोर
यूसीसी में नौकरीपेशा बेटे की मृत्यु की स्थिति में बुजुर्ग माता- पिता के भरण- पोषण की जिम्मेदारी पत्नी पर दिए जाने का प्रावधान किया जा सकता है। पत्नी को मुआवजा मिलेगा। वहीं, पति की मृत्यु की स्थिति में अगर पत्नी दुबारा शादी करती है तो उसे मिला हुआ मुआवजा माता- पिता को दिया जाएगा। पत्नी की मृत्यु होने की स्थिति में उसके माता- पिता का सहारा नहीं रहने की स्थिति में उनकी देखरेख की जिम्मेदारी पति पर होगी।

गौरतलब है कि जस्टिस रंजना देसाई वाली ड्राफ्ट कमिटी शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। तीन फरवरी को प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में सरकार यूसीसी की ड्राफ्ट रिपोर्ट पर चर्चा होगी। बता दें सदन से पारित होने के बाद इसे राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। सियासी गलियारों में यूसीसी का ड्राफ्ट राष्ट्रपति को भेजे जाने को लेकर भी चर्चा चल रही है।