अरविंद तिवारी
सत्ता और संगठन के माईक वन यानि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा के संबंध इन दिनों ठीक नहीं हैं। दोनों एक ही कार्यक्रम में मौजूद रहते हुए भी एक-दूसरे को अनदेखा कर देते हैं। पिछले दिनों भोपाल में एक केंद्रीय मंत्री की मौजूदगी में हुए कार्यक्रम के बाद भोजन के दौरान दोनों नेता एक ही टेबल पर करीब आधा घंटे साथ रहे, पर एक-दूसरे से कोई संवाद नहीं किया। हां, इतना जरूर हुआ कि वहां से रवाना होने के पहले मुख्यमंत्री ने कहा – चलता हूं अध्यक्ष जी और प्रत्युत्तर में अध्यक्ष जी बोले जी भाई साहब। कुछ ऐसा ही नजारा जानापाव पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान देखने को मिला।
बीजेपी में पहेली बन गए हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया
बीजेपी में ज्योतिरादित्य सिंधिया एक पहेली बन गये हैं। सिंधिया का जो करिश्मा कांग्रेस में था वो भगवा पार्टी में दब सा गया है। ग्वालियर के महाराज भी कंफ्यूज हैं कि आगे की राजनीति किस स्टाइल में करें? सिंधिया जब कांग्रेस में थे ग्वालियर-चम्बल के बाहर मालवा और इधर विदिशा तक की राजनीति को वे अपना अधिकार मानते थे, अपनी पुरानी रियासत की तरह। पिछले दिनों उन्होंने शाजापुर, राजगढ़, सबलगढ़ जैसी कुछ विधानसभा के कार्यकर्ताओं की मीटिंग दिल्ली में बुलाई थी। हर जिले से 50-60 कार्यकर्ता बुलाये गए, लेकिन 10 प्रतिशत लोग भी नहीं पहुंचे। शाजापुर से तो सिर्फ 4 लोग ही पहुंचे। बाद में जूम मीटिंग के माध्यम से अन्य कार्यकर्ताओं को वर्चुअली बैठक में जोड़ा गया। इस कवायद में बीजेपी में सिंधिया की नई राजनीति पर प्रश्नचिन्ह लग गया है।
कैलाश विजयवर्गीय ने दिया चेतन काश्यप को तगड़ा झटका
समर्थकों को उपकृत करने के मामले में कैलाश विजयवर्गीय की कोई जोड़ नहीं है। रतलाम के भाजपा नेता अशोक पोरवाल, विजयवर्गीय के कट्टर समर्थक हैं। विजयवर्गीय ने महापौर पद के लिए पोरवाल का टिकट तय करवा लिया था। रतलाम के विधायक चेतन काश्यप ने इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाकर ऐनवक्त पर पोरवाल का टिकट कटवा अपने समर्थक प्रहलाद जाट को टिकट दिलवा दिया। विजयवर्गीय को तब से ही मौके का इंतजार था। कुछ दिनों पहले उन्होंने अपने प्रभाव का उपयोग कर पोरवाल को रतलाम विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष बनवा दिया। मजेदार बात यह है कि काश्यप को इसकी भनक भी नहीं लग पाई और इस नियुक्ति की जानकारी उन्हें सोशल मीडिया के माध्यम से मिली।
कविता पर इतना भार, दूसरे पदाधिकारी बेकरार
इन दिनों भाजपा संगठन में कविता पाटीदार की बड़ी पूछ परख है। वे राज्यसभा सांसद के साथ ही प्रदेश महामंत्री की भूमिका में हैं। ग्वालियर जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र का प्रभार उनके पास है। इसके अलावा समय-समय पर उन्हें और भी जिम्मेदारी सौंप दी जाती है। भोपाल में संगठन से जुड़ा कोई भी आयोजन हो तो पाटीदार महत्वपूर्ण भूमिका में रहती हैं। कविता पर इतने भार ने पार्टी के दूसरे पदाधिकारियों को बेकरार कर रखा है। वे समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है। वैसे संगठन की बेहद भरोसेमंद माने जाने वाली पाटीदार भी इनमें से कई भूमिकाओं के साथ न्याय नहीं कर पा रही हैं।
माथुर ट्रस्ट ने वापस मांग लिया दान का पैसा
सुनने में कुछ अटपटा सा लगता है, लेकिन ऐसी जानकारी मिल रही है कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और पूर्व महाधिवक्ता आनंद मोहन माथुर द्वारा बनाए गए आनंद मोहन माथुर चेरिटेबल ट्रस्ट में इन दिनों कुछ ठीक नहीं चल रहा है। माथुर इन दिनों अस्वस्थ हैं, कंचनबाग स्थित अपने निवास से स्कीम नं. 140 स्थित बेटी पूनम माथुर के निवास पर रह रहे हैं। ट्रस्ट का संचालन उनके परिजनों ने हाथ में ले लिया है। पिछले दिनों कई संस्थाओं के पास ट्रस्ट की ओर से यह संदेश पहुंचा कि जो राशि उन्हें दान के रूप में दी गई थी, वह ट्रस्ट को वापस लौटा दें। दान प्राप्त करने वाली संस्थाओं के लिए यह सूचना बहुत ही चौंकाने वाली थी। हकीकत क्या है यह तो डॉ राहुल माथुर ही बता पाएंगे।
मंदसौर में किसे मौका देगी भाजपा, दौड़ में सुधीर गुप्ता भी
मंदसौर के तेजतर्रार भाजपा विधायक यशपाल सिंह सिसौदिया के लिए इस विधानसभा चुनाव में सांसद सुधीर गुप्ता परेशानी का कारण बन सकते हैं। जो बात सामने आ रही है, उससे तो संकेत यही मिल रहा है कि इस बार गुप्ता भी मंदसौर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के टिकट की दौड़ में रहेंगे। अब गुप्ता की निगाह यदि विधानसभा के टिकट पर है तो फिर सिसौदिया की परेशानी बढऩा ही है। वैसे तीन या चार चुनाव जीत चुके भाजपा विधायकों की राह आसान नहीं है। इन पर पार्टी की वक्रदृष्टि के बीच यह एक और नया पेंच आ गया है। देखते हैं कौन किस पर भारी पड़ता है।
चलते-चलते
इंदौर 4 में कांग्रेस का टिकट किसको मिलेगा, इसका बहुत अच्छा जवाब कांग्रेस के एक मैदानी कार्यकर्ता ने दिया। उसने कहा यहां टिकट पैसे को मिलेगा। उसकी बात का आशय आप समझ ही गए होंगे। यहां से टिकट के दावेदारों में डॉ. अक्षय कांति बम और राजा मांधवानी के नाम सबसे ऊपर हैं।
सुहास भगत के प्रिय पात्र होने के कारण गौरव रणदिवे को वीडी शर्मा चाहते हुए भी नहीं हटा पाए थे। सुहास जी गए तो रणदिवे की विदाई की बात भी होने लगी, लेकिन हितानंद के वरदहस्त के चलते वे बरकरार रहे। अब वीडी के जाने की चर्चा चल पड़ी है, लेकिन रणदिवे यथावत हैं।
पुछल्ला
सक्रिय राजनीति के साथ ही पारिवारिक जीवन का आनंद ले रहे भाजपा नेता अरविंद मेनन का एक शागिर्द पिछले दिनों बाजार में टकरा गया। मैंने पूछा मेनन साहब क्या कर रहे हैं इन दिनों, उसने जो जवाब दिया वह भी सुन लीजिए। बोला वे मध्यप्रदेश में भाजपा के हारने का इंतजार कर रहे हैं, ताकि घर वापसी का रास्ता आसान हो जाए।
बात मीडिया की
दैनिक भास्कर को अलविदा कह चुके वरिष्ठ पत्रकार सुनीलसिंह बघेल का अगला कदम क्या होगा, इस पर सबकी नजर है। दो बड़े मीडिया समूह उन्हें अपने से जोडऩा चाहते हैं। इनमें से एक दिल्ली और दूसरा उन्हें भोपाल में मौका देना चाहता है। दैनिक भास्कर के सिटी सप्लीमेंट में सेवाएं दे रही अंकिता जोशी जल्दी ही नई भूमिका में आ सकती हैं। वैसे सिटी भास्कर में भी उनकी भूमिका में लगातार बदलाव हो रहा है। पहले नईदुनिया और फिर लंबे समय तक पत्रिका में सेवाएं देने वाले वरिष्ठ पत्रकार संदीप पारे अब टीम भास्कर का हिस्सा हो गए हैं। पारे डेवलपमेंट ओरिएंटेड स्टोरी के मास्टर माने जाते हैं और कलेक्टोरेट बीट पर भी उनकी अच्छी पकड़ है।
वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप मिश्रा ने फिर से अग्निबाण में पारी शुरू कर दी है। अस्वस्थता के चलते मिश्रा पिछले कुछ समय से अखबार की दुनिया से दूर थे। एमवाय, इंडस्ट्री और बिजली बोर्ड में मिश्रा की अच्छी पकड़ का असर अखबार में खबरों के रूप में दिखने लगा है। लंबे समय से पत्रिका में सेवाएं दे रहे अभिषेक वर्मा को लेकर भी नई खबर है। पत्रिका को अलविदा कहने के बाद अभिषेक ने दैनिक भास्कर में आमद दे दी है। वे पहले भी टीम सिटी भास्कर का हिस्सा रहे हैं। पत्रिका अखबार अपने सिटी पुलआउट को विस्तार देने जा रहा है। इसके लिए उसने भास्कर और नईदुनिया में कार्यरत कुछ युवा साथियों को ऑफर भी दिए हैं।