नई दिल्ली : केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ किसानों का आंदोलन जारी है. लगातार इसमें रफ़्तार भी देखने को मिल रही है. दूसरी ओर विपक्ष भी इसके सहारे सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रहा है. कांग्रेस पार्टी सभी विपक्षी दलों में अव्वल है. अब तक कांग्रेस ने किसानों के समर्थन में जोर-शोर से अपनी आवाज बुलंद की है, वहीं अब एक बार फिर कांग्रेस आलाकमान ने इस मामले पर केंद्र सरकार को घेरने का मन बनाया है.
कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और केरल के वायनाड से सांसद राहुल गांधी गुरुवार को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाक़ात करेंगे. इस दौरान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल राष्ट्रपति कोविंद को कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग पत्र के साथ देशभर से जुटाए गए 2 करोड़ लोगों के हस्ताक्षर का डाटा भी प्रदान करेंगे. बता दें कि इससे पहले भी किसान आंदोलन के दौरान राहुल गांधी पार्टी नेताओं के साथ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाक़ात कर चुके हैं.
कांग्रेस पार्टी के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने इस संबंध में एक बयान देते हुए कहा है कि, केंद्र सरकार के कृषि कानूनों को रद्द करने के मांग-पत्र और हस्ताक्षर जुटाने के लिए अभियान सितंबर से चलाया गया था. बता दें कि सितंबर में ही केंद्र सरकार द्वारा सदन में कृषि बल पेश किए गए थे. दोनों सदनों में कृषि बिल के प्रस्ताव के दौरान भी विपक्ष ने इस पर आपत्ति जताई थी. वेणुगोपाल ने बताया है कि, अब तक दो करोड़ हस्ताक्षत एकत्रित किए गए हैं.
कांग्रेस महासचिव ने कहा कि, ”सरकार ने प्रदर्शन कर रहे लाखों किसानों को बदनाम करने और उन्हें थका देने का रास्ता चुना है. मोदी सरकार और इसके मंत्रियों ने उनके अपमान का रास्ता चुना है. अहंकारी मोदी सरकार ने शुरू में ही किसानों को धोखा दे दिया था. यह पूरी तरह साफ हो गया है कि मोदी सरकार किसानों और कृषि मजदूरों के बजाय बड़े उद्योगपतियों की भलाई को प्रतिबद्ध है.’
वेणुगोपाल ने आगे कहा कि, ”सरकार जनता के पैसों से बेरहम कृषि कानूनों के समर्थन में और प्रदर्शन कर रहे किसानों के खिलाफ दुष्प्रचार करने में जुटी है. किसान विरोधी कानूनों के पक्ष में समर्थन पैदा करने के लिए मीडिया से फर्जी सर्वे दिखवाए जा रहे हैं.” बता दें कि पंजाब और हरियाणा के किसानों का दिल्ली की सीमाओं पर 26 नवंबर से केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन जारी है.