अग्निपथ योजना को लेकर जहा पूरे देश में बवाल हुआ और इस योजना को वापस लेने की भी मांग की गई। लेकिन साफ शब्दों में कहा गया था कि योजना वापस नहीं होगी। इसी बीच अब पंजाब विधानसभा ने अग्निपथ भर्ती योजना के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया है और इस योजना को वापस लेने की मांग की है। गुरुवार को पंजाब विधानसभा ने अग्निपथ भर्ती योजना के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया। अग्निपथ भर्ती योजना के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने वाला पहला राज्य बन गया है।
प्रस्ताव पारित करते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने विधानसभा में कहा कि पंजाब के एक लाख से अधिक सैनिकों ने देश के सशस्त्र बलों में सेवा की है और हर साल देश की सीमाओं पर अपने जीवन का सर्वोत्तम बलिदान भी देते हैं। पंजाब के युवा भारतीय सशस्त्र बलों में सेवा करना गर्व और सम्मान की बात मानते हैं और अपने साहस और वीरता के लिए भी प्रसिद्ध है। लेकिन अग्निपथ योजना ने पंजाब के कई युवाओं के सपनों को कुचल दिया है, जो नियमित सैनिकों के रूप में सशस्त्र बलों में शामिल होने के इच्छुक है। पंजाब विधानसभा को लगता है कि इस योजना में युवाओं को केवल 4 साल की अवधि के लिए और फिर मात्र 25% को ही रोजगार दिया जाएगा, उसे न तो राष्ट्रीय सुरक्षा और ना ही देश के युवाओं के हित में रखा जाएगा। अग्निपथ योजना से युवाओं में असंतोष पैदा होने की संभावना है, जो जीवन भर देश की सेवा करना चाहते हैं। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने अग्निपथ योजना की एकतरफा घोषणा की है जिसके बाद पंजाब सहित सभी राज्यों में इसके विरोध में व्यापक प्रतिक्रिया भी देखने को मिली है।
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प्रस्ताव पारित करते हुए राज्य सरकार से इस मामले को केंद्र सरकार के समक्ष उठाने की सिफारिश की है ताकि अग्नीपथ योजना को वापस लिया जा सके विपक्ष के नेता प्रताप बाजवा ने भारतीय सशस्त्र बलों में पंजाबियों के बलिदान और भूमिका का हवाला देते हुए कहा कि अग्निपथ भारतीय सशस्त्र बलों में पंजाब की हिस्सेदारी को कम करेगी। अग्निपथ पंजाब विरोधी है, क्योंकि इस योजना के तहत भर्ती जनसंख्या के आधार पर की जाएगी। अग्निपथ योजना को लेकर कई बार बवाल हुआ है और अब पंजाब भी इस योजना के विरोध में है। अग्निपथ योजना को लेकर साफ तौर पर कहा गया है कि योजना वापस नहीं होगी।