मध्यप्रदेश के विंध्य क्षेत्र में राजनीतिक माहौल शुक्रवार को और गर्मा गया। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्व. श्रीनिवास तिवारी के पोते और भाजपा विधायक सिद्धार्थ तिवारी ने कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पर तीखे हमले किए। उन्होंने दिग्विजय सिंह को सार्वजनिक तौर पर “मौलाना” कहकर संबोधित किया, जो राजनीतिक गलियारों में हलचल का कारण बन गया।
सिद्धार्थ तिवारी का हमला और कांग्रेस पर आरोप
भाजपा विधायक ने रीवा के एक जनसभा में कहा कि कांग्रेस और उसके नेताओं का चरित्र उन्हें सबसे बेहतर ज्ञात है। उन्होंने जनता से सवाल किया कि क्या कोई उन्हें इससे बेहतर जानता है। उन्होंने सीधे-सीधे कहा कि यह वही कांग्रेस पार्टी और वही नेता हैं, जो आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को “ओसामा जी” कहते थे। इसके साथ ही उन्होंने राहुल गांधी के व्यवहार को भी इस दृष्टि से जोड़ा और कहा कि राहुल गांधी इस तरह की भाषा का प्रयोग संसद और सभाओं में करते हैं। सिद्धार्थ तिवारी ने इस दौरान अपने दादा स्व. श्रीनिवास तिवारी की राजनीतिक विरासत और संघर्ष को भी याद किया।
कांग्रेस पर विश्वासघात के आरोप
सिद्धार्थ तिवारी ने कांग्रेस पर अपने दादा के साथ धोखाधड़ी करने का आरोप भी लगाया। उन्होंने बताया कि 1977 में कांग्रेस ने उनके दादा का टिकट काटकर उन्हें मनगवां से त्योंथर भेजा था, जहां उन्होंने जनता के समर्थन से जीत हासिल की। 1980 में कांग्रेस सरकार में संजय गांधी अस्पताल लाने के बावजूद उनके दादा से मंत्री पद छीना गया। 1985 में उनकी नाराजगी बढ़ने पर कांग्रेस ने उन्हें त्योंथर से टिकट काट दिया। सिद्धार्थ ने यह सब बयां करते हुए कांग्रेस की नीतियों पर तीखा प्रहार किया।
बघेली में सांसद जनार्दन मिश्रा के विवादित बयान
इसी कड़ी में, बघेली क्षेत्र में भाजपा सांसद जनार्दन मिश्रा ने भी दिग्विजय सिंह के खिलाफ विवादित टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि “अबे सिद्धार्थ तिवारी जी कहत रहे हैं या दिग्विजय सिंह पूरे मध्यप्रदेश का हुर डारिस। 10 साल, सिद्धार्थ भाई तु ऐखर हर हुरै, हमहूं तैयार है।” स्थानीय बोली में “हुरना” शब्द का अर्थ किसी को मारने या चोट पहुँचाने से जोड़कर प्रयोग किया जाता है। इस बयान के बाद कांग्रेस ने आपत्ति दर्ज कराई और इसे गंभीर रूप से उठाया।
राजनीतिक गलियारों में हलचल
सियासी गलियारों में इन दोनों बयानबाजी को लेकर जमकर चर्चा हो रही है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही इस विवाद को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि विंध्य क्षेत्र में आगामी समय में चुनावी रणनीति में यह घटनाक्रम महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।