काशी विश्वानाथ मंदिर के पास ज्ञानवापी मस्जिद का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने के कोर्ट के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिका में निचली अदालत के सर्वेक्षण के आदेश पर रोक की मांग की गई है।
ज्ञानवापी मस्जिद के प्रबंधन का जिम्मा संभालने वाली अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक अति आवश्यक अर्जी दाखिल कर स्थानीय अदालत के आदेश पर रोक लगाने की मांग की है। मस्जिद कमेटी के वकील एसएफए नकवी ने के मुताबिक़ निचली अदालत के आदेश में पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) कानून, 1991 आड़े आता है।
उन्होंने बताया कि इस संबंध में उच्च न्यायालय में पहले से सुनवाई चल रही थी और फैसला सुरक्षित रख लिया गया है। नकवी ने कहा कि उच्च न्यायालय में फैसला सुरक्षित रखे जाने के बावजूद निचली अदालत ने इस पर सुनवाई कर आदेश पारित किया जो कि गैर कानूनी है। हमारी उच्च न्यायालय से गुजारिश है कि इस मामले में निचली अदालत के फैसले पर रोक लगाई जाए। उन्होंने बताया कि इसके लिए सोमवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक अति आवश्यक अर्जी दाखिल की गई है।
ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण तथा हिंदुओं को पूजा पाठ करने का अधिकार देने आदि को लेकर वर्ष 1991 में मुकदमा दायर किया गया था। मामले में निचली अदालत व सत्र न्यायालय के आदेश के खिलाफ 1997 में हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। हाईकोर्ट से कई वर्षों से स्टे होने से वाद लम्बित रहा। 2019 में सिविल जज सीनियर डिवीजन (फास्ट ट्रैक कोर्ट) की अदालत में प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ की ओर से वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी की ओर से अपील की गई कि संपूर्ण ज्ञानवापी परिसर भौतिक तथा पुरातात्विक दृष्टि से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की ओर से राडार तकनीक से सर्वेक्षण कराया जाए। मामले में अंजुमन इंतजामिया मसाजिद व सुन्नी सेंट्रल वफ्फ बोर्ड शुरू से प्रतिवादी हैं।