राजकुमार जैन
सदी के सबसे महान फुटबॉलरों में शुमार, 3 वर्ल्ड कप जीतने वाले दुनिया के एकमात्र खिलाड़ी पेले का 2021 से कैंसर का इलाज चल रहा था। वह कई बीमारियों के कारण पिछले महीने से अस्पताल में भर्ती थे, गुरुवार 29 दिसंबर की रात उन्होने अंतिम सांस लेकर इस संसार को अलविदा कह दिया। कई पीढियों पर अमिट छाप छोड़ने वाले खिलाड़ी बिरले ही होते हैं और फुटबॉल के जादूगर पेले के निधन से फुटबॉल की दुनिया में एक युग का अंत हो गया है।
60 और 70 के दशक मे जन्मे मेरे जैसे तमाम हिन्दी भाषियों के लिए महान शब्द का मतलब पेले ही होता था। ट्रेस कोराकोस, ब्राजील में एक फुटबॉल खिलाड़ी जो रैमोस डो नैसिमैंटो “डोन्डीन्हो” और डोना सेलेस्टी अरांटिस के घर 23 अक्टूबर 1940 एक पुत्र ने जन्म लिया जिसका नाम अमरीकी अन्वेषक थामस एडीसन के नाम पर एडिसन “एडसन” अरांटिस डो नैसिमेंटो रखा गया। स्कूल मे उनका उपनाम पेले पड़ा। अपनी आत्मकथा में, पेले लिखते है कि उन्हें नही पता कि पेले नाम का अर्थ क्या है।
बोरू, साओ पॉलो इलाके में गरीबी में पले-बढ़े पेले ने किशोरावस्था मे चाय की दुकानों में काम करके अपने परिवार की आर्थिक मदद की। फुटबाल उनका जूनून था लेकिन खेलना शुरू करते समय उनके पास एक अच्छा फुटबॉल खरीदने लायक पैसे नहीं होते थे तो वो मोजे में अखबार को ठूंसकर, उसे रस्सी से बांध कर उससे खेला करते थे। खेल के प्रति उनके समर्पण को देखते हुए 1956 में, कोच डी ब्रिटो पेले को सांटोस फुटबॉल क्लब में दाखिल करने ले गए और क्लब के संचालको से कहा कि 15 वर्ष का पेले “विश्व का सबसे महान फुटबॉल खिलाड़ी” बनेगा, और सिर्फ 16 की आयु में वे लीग के सबसे अधिक गोल बनाने वाले खिलाड़ी बन गए।
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उनकी अद्भुत प्र्तिभा को देखते हुए दस महीनों बाद ही उस किशोर को ब्राजील की राष्ट्रीय टीम में ले लिया गया।
1958 के फीफा विश्व कप में उस समय विश्व कप में खेलने वाले खिलाड़ियों में तब तक के सबसे कम आयु के खिलाड़ी थे। केवल 17 वर्ष और 239 दिनों की आयु में वे विश्व कप में गोल करने वाले सबसे छोटी उम्र के खिलाड़ी बने। सेमीफाइनल में फ्रांस के विरूद्ध पेले ने लगातार तीन गोल (हैट-ट्रिक) बनाए और विश्व कप के इतिहास में ऐसा करने वाले वे सबसे कम आयु के खिलाड़ी बने।
फिर आया 19 जून 1958 को वो एतिहासिक दिन जब पेले 17 वर्ष और 249 दिनों की उम्र में किसी भी विश्व कप फाइनल मैच में खेलने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बने। फाइनल मैच में उनका पहला गोल, जिसमें उन्होंने एक रक्षक के ऊपर से उछालकर सफाई से ‘वॉली शॉट’ लगाया था, विश्व कप के इतिहास में सबसे बढ़िया गोलों में से एक के रूप में माना जाता है। इसी विश्व कप के दौरान पेले ने 10 नंबर की टी-शर्ट पहनना शुरू किया जिसने उन्हें अमर बना दिया। 1958 में ही पेले ने एक मैच मे 58 गोल बनाकर जो इतिहास रच दिया था, वो आज भी एक रिकार्ड है।
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1962 के विश्व कप के बाद, अमीर यूरोपियन क्लबों ने उस युवा खिलाड़ी को अपनी टीमों में शामिल करने के लिए बड़े बड़े लालच दिये लेकिन ब्राजील सरकार अपने इस अनमोल रत्न को हरगिज भी नही खोना चाहती थी अत: पेले को देश छोडने से रोकने के लिये उन्हें “अधिकारिक राष्ट्रीय संपदा” घोषित कर दिया गया। “एक राष्ट्रीय धरोहर” पेले से पहले यह सम्मान और किसी खिलाड़ी को नही मिला था।
यूं तो अपने जीवनकाल में पेले ने अनगिनत गोल दागे हैं लेकिन उनका मानना था कि उनका सबसे सुंदर गोल 2 अगस्त 1959 को रुआ जावारी स्टेडियम में साओ पालो के प्रतिद्वंदी जुवेंटस के खिलाफ एक कैम्पियोनाटो पालिस्टा मैच में हुआ था। पेले के उत्तेजक खेल और दर्शनीय गोल बनाने की अद्भुत कला ने उन्हें सारे विश्व में का सितारा बना दिया था। उनकी लोकप्रियता का आलम यह था कि 1967 में नाइजीरियन गृहयुद्ध में उलझे दो गुट 48 घंटों के लिये युद्धविराम करने के लिये सहमत हो गए ताकि वे पेले को लागोस में एक प्रदर्शन मैच में खेलते देख सकें।
उस समय इस खेल में लाल और पीले कार्ड का चलन नही था और एक खिलाड़ी को अपने दम खम के बूते पर प्रतिद्वंदी टीम के निजी हमलों से खुद को बचाकर खेलना होता था 1966 विश्व कप अन्य बातों के साथ, बल्गेरियन और पुर्तगाली खिलाड़ियों द्वारा पेले पर किये गए खूंखार हमले के लिये याद किया जाता है। 1972 सीजन के बाद पेले ने ब्राज़ीली क्लब फुटबॉल से अवकाश ले लिया था, दो वर्ष के बाद, 32 साल की उम्र में उन्होने उत्तर अमरीकी सॉकर लीग के न्यूयॉर्क कॉस्मॉस के साथ अनुबंध किया।
संयुक्त राज्य अमेरिका में लोगों की फुटबॉल मे रुचि और इस खेल के प्रति सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने का श्रेय पेले को जाता है। 1 अक्टूबर 1977 को कॉस्मॉस और सांटोस के बीच भीड़ से खचाखच भरे जायंट्स स्टेडियम में हुए एक प्रदर्शन मैच में पेले ने एक सीधी ‘फ्री किक’ द्वारा अपना अंतिम गोल किया। मैच समाप्ती पर उन्होंने अपने बांए हाथ में अमरीकी ध्वज और दांए हाथ में ब्राज़ीली ध्वज लेकर मैदान का चक्कर लगाया।
21 फ़रवरी 1966 को पेले ने रोज़मेरी डॉस रेइस चॉल्बी से विवाह किया था और दो पुत्रियां केली क्रिस्टीना, जेनिफर को और एक पुत्र एडसन जन्म दिया। 1978 में उन्होने तलाक ले लिया। अप्रैल 1994 में एक मनोवैज्ञानिक और गॉस्पेल गायिका एस्सीरिया लेमॉस सीक्सास से पुनर्विवाह किया इस जोड़े ने जोशुआ और सेलेस्टे नामक जुड़वा बच्चों को जन्म दिया। 1992 में पेले को पारिस्थिकी और पर्यावरण के लिये संयुक्त राष्ट्र का राजदूत नियुक्त किया गया था उन्हें 1995 में क्रीड़ा के क्षेत्र में विशेष सेवाओं के लिये ब्राज़ील के स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया।
ब्राज़ीली राष्ट्रपति फर्नांडो हेनरिक कार्दोसो ने उन्हें देश के का क्रीड़ा मंत्री नियुक्त किया और उन्हें युनेस्को सद्भावना राजदूत भी बनाया। अपने कार्यकाल में पेले ने ब्राज़ीली फुटबॉल में भ्रष्टाचार को कम करने के लिये एक कानून प्रस्तावित किया, जिसे पेले कानून के नाम से जाना जाता है। 1997 में उन्हें एक नाइट कमांडर ऑफ दि आर्डर ऑफ दि ब्रिटिश एम्पायर का सम्मान दिया गया। इंटरनेशनल ओलिंपिक कमेटी ने 1999 में पेले को एथलीट ऑफ द सेंचुरी चुना था आज इस महान व्यक्तित्व को अंतिम सलाम करने सम्पूर्ण विश्व उठ खड़ा हुआ है।