कांग्रेस के दिग्गज नेता और कल्कि धाम के महंत आचार्य प्रमोद कृष्णम को पार्टी ने 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया है। इससे पहले उन्होनें रामलला के प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण कांग्रेस द्वारा ठुकराए जाने पर अपनी नाराजगी जाहिर की थी। उन्होंने कहा था कि भगवान राम सब के हैं किसी पार्टी के नही । पार्टी के प्रमुख नेताओं को इस पर पुन विचार करना चाहिए । हालांकि इसके बाद उनकी अब भाजपा के साथ राजनीतिक पारी की नई शुरूआत हो सकती है। वहीं अपने बयान में आचार्य प्रमोद कृष्णम ने पहले भी भाजपा जाने के संकेत दिए थे।
आपको बता दें आचार्य प्रमोद कृष्णम ने छात्र जीवन से ही कांग्रेस का दामनपकड़ लिया था। 1993 में संभल विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए नामांकन भी किया था लेकिन किसी कारण नामांकन वापस लेना पड़ा था। कहा जाता है कि कांग्रेस की सक्रिय राजनीति तो 1985 के बाद ही आचार्य ने शुरू कर दी थी। यूथ कांग्रेस में भी जिम्मेदारी निभाई थी। वर्ष 2019 में लखनऊ से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे।
दरअसल पिछले कुछ समय से कांग्रेस की नीतियों का काफी विरोध कर रहे थे। इसको ही कांग्रेस कमेटी ने अनुशासनहीनता माना है। अब शिलान्यास में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शामिल होना और भाजपा के तमाम बड़े नेताओं से मुलाकात कर शिलान्यास का न्यौता देना भी कांग्रेस से दूरी बनाने का संकेत आचार्य प्रमोद कृष्णम दे चुके थे।
जानकारी के अनुसार कि कल्कि धाम शिलान्यास कार्यक्रम में ही भाजपा में शामिल होने की घोषणा हो सकती है। भाजपा में शामिल होने से धर्माचार्य जीवन का भी पालन होगा और राजनीतिक सफर की नई शुरूआत होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विचारों से आचार्य काफी प्रभावित हैं और उन्होंने कहा भी है कि वह प्रधानमंत्री के विचारों की खुलकर प्रशंसा करते हैं। 19 फरवरी को प्रधानमंत्री शिलान्यास कार्यक्रम में शामिल होने आ रहे हैं।
गौरतलब है कि आचार्य प्रमोद कृष्णम कांग्रेस के नेताओं पर लगातार निशाना साध रहे थे। वह उनके बयानों से खफा थे और इसलिए ही उन्होंने कांग्रेस के कई नेताओं को हिंदू विरोधी भी बताया था। अयोध्या में श्री राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण पत्र ठुकराने वाले नेताओं पर भी भड़के थे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता होने के बाद भी अपनी ही पार्टी का खुलकर विरोध शुरू किया