तब बुक्का फाड़कर होता था चुनाव प्रचार, अब डिजिटल तकनीक का सहारा

Pinal Patidar
Published on:

नई दिल्ली। समय के अनुसार चुनाव प्रचार (Election Campaign) का भी तरीका बदल गया है। पुराने राजनीतिज्ञों का कहना है कि एक समय ऐसा भी हुआ करता था जब चुनाव लड़ने वाले नेता बुक्का फाड़कर अर्थात बगैर माइक ही चिल्ला चिल्लाकर अपना भाषण जनता के सामने दिया करते थे लेकिन अब डिजिटल तकनीक चुनाव प्रचार के लिए राजनीतिक दलों का सहारा बन गई है। इसका उदाहरण देश के पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में प्रत्यक्ष रूप से देखने को मिल रहा है।

सड़कों पर झांकियां, हाथों में तख्तियां

बीते कुछ वर्षों में देश में होने वाले चुनावों का इतिहास उठाकर देखा जाए तो मोबाइल फेसबुक, वॉटसेप जैसे सोशल मीडिया का उपयोग बहुत अधिक होता रहा है। राजनीति इतिहास के जानकार बताते है कि वर्ष 1950 से लेकर 70 के दशक में होने वाले चुनावों के दौरान प्रचार हेतु सड़कों पर झांकियां लगाकर वोट मांगे जाते थे। इसके अलावा पार्टी के कार्यकर्ताओं के हाथों में तख्तियां भी हुआ करती थी।

Also Read – 16 February Horoscope: जानिए कैसा रहेगा आज का आपका दिन, पढ़िए राशिफल

माइक का उपयोग नहीं होता था

एक समय ऐसा भी हुआ करता था जब माइक का उपयोग नहीं होता था और नेताओं को अपना भाषण किसी एक इलाके में ही जाकर देना होता था। चुंकि लोगों की भीड़ जुटाने के लिए एक दिन पहले से ही प्रयास किए जाते थे, इसलिए प्रयास में सफलता भी मिलती थी और भीड़ होने के कारण नेताओं को चिल्ला-चिल्लाकर भाषण देना होता था। कार्यकर्ताओं के हाथों में तख्तियां, पार्टी का बैनर तो रहते ही थे वहीं कार्यकर्ताओं के सिर पर पार्टी की टोपी, शर्ट पर बैज और हाथ के बाजू पर भी पार्टी की ही रिबन बंधी होती थी, लेकिन मौजूदा समय में यह सब कम दिखाई देता है।

अब गूगल मीट, पहले ऐसा होता था

अब राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता अपनी मिटिंग करने के लिए गूगल मीट का सहारा लेते है यानी वर्चुअल तरीके से ही मिटिंग हो जाती है लकिन पहले के जमाने में पार्टी कार्यकर्ता व पदाधिकारी मिटिंग के लिए किसी का घर को ही चुनते थे। जिसके घर में बड़ा हॉल होता था वहीं कार्यकर्ता बैठकर मिटिंग किया करते थे।

Also Read – Bappi Lahiri Passes Away: मशहूर सिंगर-कंपोजर बप्पी लहरी का निधन, 69 की उम्र में ली अंतिम सांस