देश में अपहरण से जुड़ी घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही है। हाल ही में ओडिशा के मलकानगिरी जिले से एक बड़ी खबर सामने आ रही है, जहां पूर्व माओवादी प्रभावित क्षेत्र में काम कर रहे एक युवा डॉक्टर का शनिवार रात को अपहरण कर लिया गया, जिससे अटकलें लगाई जा रही हैं कि इसके पीछे विद्रोहियों का हाथ हो सकता है।
इस साल जनवरी से मलकानगिरी के कालीमेला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में काम कर रहे 29 वर्षीय अमलान भोई शनिवार रात को अपने सरकारी क्वार्टर से लापता पाए गए। पुलिस ने कालीमेला सीएचसी के परिसर में भोई के क्वार्टर की दीवार पर माओवादी द्वारा लगाया गया एक पोस्टर जब्त किया, जिसमें कालीमेला सीएचसी के सभी पुराने कर्मचारियों को स्थानांतरित करने और अस्पताल में विशेषज्ञों की नियुक्ति की मांग की गई थी। उसका मोबाइल फोन और मोटरसाइकिल उसके आवास पर मिली।
मलकानगिरी के मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी प्रफुल्ल कुमार नंदा ने कहा कि सीएचसी में अपनी ड्यूटी खत्म करने के बाद भोई शनिवार रात करीब 10 बजे अपने क्वार्टर में लौट आया। हालांकि, वह रविवार सुबह से अपने घर से लापता पाया गया उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के पड़ोसी सुकमा जिले के कोंटा गांव की लाची खुरमी नामक महिला का शव शुक्रवार को कालीमेला सीएचसी में मिला था। जब भोई ने मृतक के साथ आए लोगों से शव का पोस्टमार्टम करने के लिए कहा, तो उन्होंने विरोध किया और उनके साथ बहस की। बाद में भोई ने पुलिस को बुलाया और उसके तुरंत बाद पोस्टमार्टम किया गया।
मलकानगिरी के उप-विभागीय पुलिस अधिकारी सचिन पटेल ने कहा कि पुलिस अभी भी जांच कर रही है कि क्या इस घटना में माओवादियों का हाथ है। अपहरण घटना एक पुरानी घटना से जुडी है ,जहां एक अन्य सरकारी अधिकारी, (आईएएस) जो उस समय मलकानगिरी के कलेक्टर के रूप में पदस्थ थे। 16 फरवरी 2011 को माओवादियों के द्वारा अपहरण कर लिया गया था। माओवादियों अपहरण से पहले एक पत्र लिखा था और सरकार से 7 मांगें की गई थीं। इसी पर यह घटना अंजाम देती है
उन्होंने कहा उसे या तो देर रात या रविवार सुबह-सुबह अगवा किया गया था। हम इलाके में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाल रहे हैं। कंधमाल जिले के मूल निवासी भोई को इस साल जनवरी में कालीमेला सीएचसी में डॉक्टर के तौर पर नियुक्त किया गया था।
कभी माओवादी हमलों की बड़ी घटनाओं के लिए मशहूर मलकानगिरी में इस साल अप्रैल में लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान माओवादी हिंसा की कोई घटना नहीं हुई। मलकानगिरी के स्वाभिमान अंचला के माओवादियों के गढ़ में लोगों ने बीएसएफ कैंपों के बजाय अपने गांवों के नजदीक मतदान केंद्रों पर मतदान किया।