एमएसएमई एक्ट के नये प्रावधान, जानिए फ़ायदेमंद या नुक़सानदेह

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टीपीए एवं इंदौर सीए शाखा द्वारा एमएसएमई रजिस्ट्रेशन से मिलने वाले फ़ायदे और इस संबंध में आयकर अधिनियम के प्रावधानों के विषय में चर्चा हेतु एक महत्वपूर्ण सेमिनार का आयोजन किया। जिसमें सीए अभिषेक गांग ने संबोधित किया। टीपीए के प्रेसिडेंट सीए जे पी सराफ़ ने कहा कि सरकार की किसी भी योजनाओं का फ़ायदा लेने के लिए एमएसएमई में रजिस्टर्ड होना आवश्यक है। टीपीए के मानद सचिव सीए अभय शर्मा ने कहा कि सर्विस सेक्टर भी एमएसएमई की परिभाषा में आता है तथा इसकी रजिस्ट्रेशन की बड़ी सरल और पूर्णतः ऑनलाइन एवं निःशुल्क प्रोसीजर है। सीए अभिषेक गांग ने कहा कि देश की कुल जीडीपी में एमएसएमई का हिस्सा 30% है अतः एमएसएमई विभाग पर देश की बड़ी जवाबदारी है।

उन्होंने कहा कि एमएसएमई को 3 कैटेगरी में बनता बाँटा गया है :

माइक्रो: संयंत्र और मशीनरी में रु. 1 करोड़ लाख से अधिक का निवेश नहीं होना चाहिए तथा टर्नओवर 5 करोड़ से ज़्यादा नहीं होना चाहिए।

स्मॉल: संयंत्र और मशीनरी में रु. 10 करोड़ लाख से अधिक का निवेश नहीं होना चाहिए तथा टर्नओवर 50 करोड़ से ज़्यादा नहीं होना चाहिए।

मीडियम: संयंत्र और मशीनरी में रु. 50 करोड़ लाख से अधिक का निवेश नहीं होना चाहिए तथा टर्नओवर 250 करोड़ से ज़्यादा नहीं होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि रजिस्ट्रेशन के समय जो बैंक अकाउंट नंबर दिया जाता है उसी अकाउंट में सरकार की सारी सब्सिडी या योजनाओं का लाभ मिलेगा अतः बैंक अकाउंट नंबर वहीं मेंशन करें जिसमें व्यापारी सरकार की योजनाओं का फ़ायदा लेना हो।उद्यम पंजीकरण छोटे व्यवसायों को विभिन्न सरकारी योजनाओं और सब्सिडी तक पहुंचने में मदद करता है, जो विशेष रूप से छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों के लिए डिज़ाइन की गई हैं। इसमें क्रेडिट-लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी स्कीम, टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन फंड स्कीम, मार्केटिंग असिस्टेंस स्कीम और अन्य शामिल हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यदि कोई खरीदार रजिस्टर्ड उद्यम से व्यापार करने पर उनको निर्धारित अवधि जो की अधिकतम 45 दिन है के भीतर भुगतान करने में विफल रहता है, तो वह ख़रीदार बकाया राशि पर आरबीआई द्वारा अधिसूचित बैंक ब्याज की दर के तीन गुना चक्रवृद्धि ब्याज का भुगतान रजिस्टर्ड उद्यमी को करने के लिए उत्तरदायी होगा।

सीए अभिषेक गांग ने बताया की अब ऐसे करदाता जिनकी लेखा पुस्तकों का ऑडिट होता है या ऐसे करदाता जिनकी व्यापार से आय है एवं वे अनुमानित आधार पर आयकर नहीं चुकाते है तो उन्हे अपने व्यापार के दौरान खरीदे गए माल या प्राप्त की गई सेवाओ का भुगतान एमएसएमई ऐक्ट के अंतर्गत दी गई समय सीमा में भुगतान करने पर ही उपरोक्त खर्चों की कटोती प्राप्त होगी। एमएसएमई एक्ट के अनुसान यदि कोई भी व्यक्ति जो ट्रेडर के अलावा एमएसएमई में माइक्रो या स्मॉल एंटरप्राइस के रूप में रजिस्टर्ड है तो ऐसे व्यापारी से सेवा प्राप्त करने पर या ख़रीदारी करने पर क्रेता को ऐसे व्यक्ति को यदि कोई अनुबंध नहीं है तो 15 दिन के भीतर भुगतान करने की बाध्यता है एवं यदि कोई अनुबंध है तो उस अनुबंध के अनुसार भुगतान करना होगा परंतु किसी भी दशा में यह भुगतान की समय सीमा 45 दिन से अधिक नहीं हो सकती। उदाहरण के लिए यदि किसी भी व्यापारी ने उद्यम में रजिस्टर्ड व्यापारी से 1 जनवरी 2024 को 10 लाख का माल उधर खरीद है एवं उसका भुक्तन 31 मार्च 2024 तक नहीं किया है तो एसी परिस्थिति में पूरे 10 लाख रुपए आयकर में आय मानते हुए उस पर आयकर देने के लिए दायी होंगे। यदि उपरोक्त उदाहरण में यदि व्यापारी भुगतान 15 अप्रैल 2024 को करता है तो ऐसे 10 लाख रुपए की कटौती वित्त वर्ष 2024-25 में मिल जाएगी। यह बहुत ही महत्वपूर्ण परिवर्तन है। उपरोक्त प्रावधान केवल उन्ही व्यापारियों से व्यापार करने पर लागू होगा जो की एमएसएमई एक्ट में माइक्रो एवं स्मॉल एंटरप्राइस के रूप में रजिस्टर्ड है।

उन्होंने कहा कि ऑडिटर को इसकी रिपोर्टिंग ऑडिट रिपोर्ट में देना आवश्यक है, जो कि कठिन कार्य होगा। वित्तीय वर्ष समाप्त होने को है तथा ऑडिटर को अभी से ही अपने क्लाइंट से इस संबंध में डेटा कलेक्ट करना शुरू कर देना चाहिए। संचालन टीपीए के मानद सचिव सीए अभय शर्मा ने किया। इस अवसर पर टीपीए के पूर्व अध्यक्ष सीए शैलेंद्र सिंह सोलंकी, सीए सुनील पी जैन, गोविंद गोयल, सीए अजय सामरिया सहित बड़ी संख्या में सदस्य मौजूद थे।