राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग का बड़ा फैसला, देर से FIR करने पर भी बीमा कंपनी नहीं कर सकती क्लेम रद्द

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मोटर वाहन अधिनियम के तहत भारत में कार चलाने के लिए बीमा पॉलिसी अनिवार्य है। इसलिए हर कार मालिक अपनी कार का बीमा कराता है। कार बीमा पॉलिसी कार को शारीरिक क्षति, कार चोरी और दुर्घटना के मामले में कवर प्रदान करती है। कभी-कभी वैध कार बीमा होने पर भी कवर नहीं मिलता है। बीमा कंपनी दावा खारिज कर देती है।

आख़िर इसकी वजह क्या है?

अगर आप भी एक कार मालिक हैं तो आपके लिए उन कारणों को जानना बेहद जरूरी है जिनकी वजह से आपका कार बीमा दावा खारिज हो सकता है। यदि आपके पास सही जानकारी है तो आपका दावा कभी भी खारिज नहीं किया जाता है। खैर, क्लेम खारिज होने का एक बड़ा कारण यह हो सकता है कि जब आपका वाहन चोरी हो जाता है तो आप दुर्घटना जैसे मामले में शिकायत या एफआईआर दर्ज नहीं करते हैं। ऐसे में बीमा कंपनियां आपका दावा खारिज कर सकती हैं। इससे आपको काफी आर्थिक नुकसान हो सकता है. लेकिन अब राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने ऐसे मामले में एक अहम फैसला सुनाया है।

कई बार वाहन चोरी होने पर पुलिस तुरंत मामला दर्ज नहीं करती। ऐसे मामले में बीमा कंपनी केस दायर करने में देरी का हवाला देकर बीमा क्लेम खारिज कर देती है। ऐसे में राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने एक अहम फैसला सुनाया है। आयोग ने फैसले में कहा है कि पुलिस द्वारा मामला दर्ज करने में देरी के आधार पर बीमा कंपनी किसी उपभोक्ता का बीमा दावा खारिज नहीं कर सकती। बशर्ते कि उक्त विलंब के लिए वैध एवं उचित कारण दिया गया हो।