नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के मुस्लिमों ने कानूनी लड़ाई लड़कर मिसाल पेश की है। दरअसल, इन्होंने जामिया नगर के नूर नगर स्थित एक मंदिर को संरक्षित कराने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में लड़ाई लड़ी। बता दें मंदिर की देखरेख करने वाले ने कुछ समय पहले जमीन पर कब्जा करने के इरादे से बगल में स्थित धर्मशाला के एक हिस्से को तोड़ दिया था। जबकि याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा की पीठ ने यह कहा कि मंदिर आउट प्लान के हिसाब से उक्त स्थान पर हैं और इस पर किसी तरह का अतिक्रमण नहीं होगा और ना ही किसी को अनुमति हैं।
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इसके अलावा दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार, पुलिस आयुक्त , साउथ एमसीडी और जामिया नगर के थाना प्रभारी को आदेश दिया और कहा कि यह सुनिश्चित कर दें कि भविष्य में कभी भी मंदिर परिसर में कोई अवैध अतिक्रमण नहीं होगा। इसी के साथ कानून-व्यवस्था की भी कोई समस्या नहीं होगी। वहीं, इस बात पर दिल्ली पुलिस और साउथ एमसीडी ने कोर्ट को मंदिर पर किसी भी प्रकार का अतिक्रमण नहीं होने देने का भरोसा दिलाया है।
बता दें पूरा मामला यह हैं कि सैयद फौजुल (अर्शी) के अधिवक्ता नितिन सलूजा की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि मंदिर की धर्मशाला को रातों-रात गिरा कर जमीन को लेवल कर दिया गया, ताकि बिल्डरों द्वारा इस पर कब्जा किया जा सके। इसके अलावा धर्मशाला को तोड़ने से जुड़ी तस्वीरें पेश की गई हैं। वहीं, दिल्ली सरकार के शहरी विकास की वेबसाइट पर उपलब्ध ले-आउट प्लान का भी हवाला दिया गया, जिसमें नूर नगर एक्सटेंशन जामिया नगर में उक्त स्थान पर मंदिर है।
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