मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सम्पूर्ण बहुमत से जीत दर्ज की, कल परिणाम देखने के बाद बीजेपी कार्यालयों में जश्न का माहौल था। परन्तु कांग्रेस के हाथों सिर्फ उदासी की शाम हाथ आयी। एक तरफ चुनाव के परिणाम ने बीजेपी को जश्न का मौका दिया तो वहीं दूसरी तरफ कई सवाल भी खड़े किये। इस जीत का श्रेय किसे जायेगा? क्या शिवराज सिंह चौहान फिर मुख्यमंत्री बनने वाले हैं? कई मंत्री चुनाव हार गए हैं, क्या है इसके कारण? इसी तरह के कई सवाल लोगों के जेहन में हैं। इन्हीं सवालों के जवाब जानने के लिए खबर आगे पढ़ते रहिये।
1. इस जीत का श्रेय किसे दिया जाना चाहिए?
पीएम मोदी के जोरदार प्रचार अभियान का फायदा बीजेपी को चुनावी जीत से मिला। इन चुनावों में बीजेपी की जीत के असली हीरो पीएम नरेंद्र मोदी को माना जा रहा है। थीम सॉन्ग एमपी के मन में मोदी और मोदी के मन में एमपी ने भी जनता को काफी आकर्षित किया। चुनाव प्रचार में शिवराज का फोकस महिला वोटर पर रहा। प्रदेशभर में लाड़ली बहना सम्मेलन हुए। शिवराज ने खुद को भैया बताकर महिलाओं से इमोशनल कनेक्ट भी किया।
2. कौन बनेगा मुख्यमंत्री? शिवराज या कोई और?
फिलहाल शिवराज सिंह चौहान ही आगे हैं। जिस तरह लाड़ली बहना को जीत का महत्वपूर्ण फैक्टर माना जा रहा है, उससे शिवराज का दावा ही मजबूत है। सबसे बड़ी बात इमोशनल कनेक्ट के कारण जनभावनाएं शिवराज के साथ हैं, इसलिए किसी और को मुख्यमंत्री चुनना भाजपा को भारी पड़ सकता है।
3. कांग्रेस की हार की वजह क्या रहीं?
सबसे पहले कांग्रेस उम्मीदवारों के नाम तय करने में पिछड़ी। फिर बगावत की आंधी को वह थाम नहीं पाई। बागियों के कारण पार्टी को 7 सीटों का नुकसान हुआ है। 84 मौजूदा विधायकों को टिकट दिया था जिनमें से 58 हार गए। यानी 66 फीसदी को जनता ने नकार दिया।
4. महिलाओं का प्रदर्शन कैसा रहा?
इस विधानसभा चुनाव में महिलाओं का रोल काफी महत्पूर्ण रहा। भाजपा में ज्यादा बेहतर रहा है, पार्टी ने 27 महिलाओं को टिकट दिया था, जिसमें से 22 जीतीं। कांग्रेस ने 30 महिला प्रत्याशियों को उतारा। इनमें से 5 ही जीतकर आई हैं।
5. किन नतीजों ने किया हैरान?
भाजपा में नरोत्तम मिश्रा और कांग्रेस में जीतू पटवारी की हार ने सभी को चौंकाया। दोनों नेता अपनी पार्टी के बड़े नेताओं में से एक है। नरोत्तम कट्टर हिंदूवादी चेहरे के रूप में सामने आए थे। कभी उनका नाम सीएम पद की दौड़ में लिया जाने लगा था। सरकार को घेरने में जीतू पटवारी भी सदन से लेकर सड़क तक आगे रहे हैं।