भारत में चाय को पसंद करने वाले बहुत लोग है। लेकिन चाय उत्पादकों के लिए जो खबर सामने आई है वो हैरान कर रही हैं। भारतीय चाय निर्यातक संघ के अध्यक्ष अंशुमान कानोरिया ने खुलासा करते हुए कहा कि भारतीय चाय में कीटनाशकों और रसायनों की मात्रा अधिक पाई गई है। जिसके बाद इंटरनेशनल और घरेलू दोनों मार्केट में चाय की खेप को वापस लौटा कर दिया है। आपको बता दें कि श्रीलंका में आए दिन आर्थिक संकट के चलते इंटरनेशनल मार्केट में भारतीय चाय उद्योग कारोबार को बढ़ाने का बड़ा मौका हाथ लगा था। लेकिन लिमिट से ज्यादा कीटनाशकों और रसायनों की मात्रा अधिक पाई जाने की वजह से इसके इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। इस दौरान चाय उद्योग को बड़ा नुकसान झेलना पड़ रहा है।
परेशानी का कारण
बताया जा रहा है कि पिछले कुछ वर्षों में चाय बागानों में जलवायु परिवर्तन की वजह से बहुत ज्यादा परिवर्तन आ गया है। बारिश या फिर लंबे समय तक सूखे की वजह से भी कीटों का खतरा बढ़ जाता है। लेकिन पत्तियों को कीटनाशक का प्रयोग समाप्त होने के बाद ही तोड़ा जाता है। फिर भी चाय की पत्तियों पर से कीटनाशक के अंश कुछ रह जाते हैं। जानकारीके मुताबिक आमतौर पर कीटनाशक के छिड़काव के लगभग 10 से 12 दिन के बाद ही पत्तियों को तोड़ा जाता है। लेकिन जल्दबाजी के दौरान इसका पालन नहीं किया जाता है तो उसकी वजह से ही कीटनाशक होने की आशंका वजह सामने आती है।
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हालाकि लोग सरकार से FSSAI मानदंडों और ढील देने की मांग कर रहे है। कनोरिया ने कहा है कि चाय को स्वास्थ्य पर माना जाता है और ऐसा करने से यह एक गलत संकेत देगा। लेकिन चाय बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि चाय पैकरो और निर्यातकों से इस मुद्दे पर शिकायतें मिली है। भारत ने 2021 में 195.90 मिलियन चाय का निर्यात किया था। भारतीय चाय के मुख्य खरीदार कॉमनवेल्थ इंडिपेंडेंट स्टूडेंट नेशन और ईरान थे। लेकिन इस बार 300 मिलियन किलो चाय एक्सपोर्ट करने का लक्ष्य रखा गया है। तो वही अब चाय बोर्ड निर्यात में तेजी लाने पर विचार कर रहा है। लेकिन लगातार खेपो की वापसी की वजह से शिपमेंट में गिरावट भी देखी जा रही है।