Indore Literature Festival : जिद नहीं होगी तो समाज नहीं बदलेगा : मनीषा कुलश्रेष्ठ

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By Shivani RathorePublished On: January 23, 2021

इंदौर : लिटरेचर फेस्टिवल का हिस्सा बनी राजस्थान की प्रसिद्द लेखिका मनीषा कुलश्रेष्ठ  ने अपने सत्र के दौरान कहा कि मेरी नजर में स्त्री लेखन को किसी एक बंधन में नहीं बांधा जा सकता। पुरुष भी स्त्री लेखन कर सकते हैं, हां यह जरूर है कि महिलाओं का शब्दकोष अपेक्षाकृत अधिक होता है। इसका वैज्ञानिक आधार यह है कि पुरुष यदि एक घंटे में सात से आठ हजार शब्दों का इस्तेमाल करता है तो स्त्र‍ियां लगभग 35 हजार शब्दों का प्रयोग करती हैं।

वर्तमान में स्त्र‍ियां बदल गई हैं, वे जिद करने लगी हैं और यह उनके लेखन में भी नजर आ रहा है। मुझे जिद करने वाली स्त्र‍ियां पसंद हैं क्योंकि जब तक स्त्र‍ियां जिद्दी नहीं होंगी, समाज नहीं बदलेगा।