ऐसा है अपना इंदौर शहर : राजबाड़ा पर बनता है जश्न, रीगल पर बटता है दुख दर्द, 56 पर मनता है थर्टी फस्ट

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By Suruchi ChircteyPublished On: August 29, 2022

विपिन नीमा

इंदौर। इंदौर कला, संस्कृति एवं शिक्षा की नगरी है। स्वच्छता की दिशा में इस शहर ने विश्व में अपनी नई पहचान कायम की है। शहर में तीन स्थान ऐसे स्थापित हो चुके है जहाँ परिस्थितियो के हिसाब से लोग इकट्ठा होकर अपनी भावनाएं दर्शाते हैं। भारत वर्ल्ड कप जीते या पकिस्तान को हरा दे तो , चंद मिनटों में जश्न मनाने के लिए पूरा शहर तिरंगों के साथ राजवाड़ा पर जमा हो जाता है।

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इसी प्रकार अगर कोई अनहोनी या आतंकी जैसी कोई घटना होती है तो मोमबत्ती जलाकर दुख प्रकट करने या श्रद्धांजलि देने के लिए भी रीगल चौराहे पर पहुंच जाते है तथा जब थर्टी फस्ट दिसम्बर का दिन आता है तो मस्ती ओर जश्न का मुख्य केंद्र 56 (56 दुकान) बन जाता है। ये तीनो स्थान खुशी , गम ओर मस्ती के प्रतीक स्थल बन गए है। इन स्थानों पर किसी को न्योता देने की आवश्यकता नही होती है। रहती है। ये है नए।इंदौर का नया कल्चर ।

रात के उत्सव से याद आ गये पुराने जश्न

बीती रात एशिया कप में भारत ने पाकिस्तान को हराया तो पूरा शहर जीत के जश्न में डूब गया। देखते ही देखते पूरा राजबाड़ा देश भक्तों से खचाखच भर गया। चारो तरफ तिरंगे ही तिरंगे लहरा रहे थे। वर्ल्ड कु हो या अन्य बड़ी उपलब्धि हो हर जीत का जश्न राजवाड़ा पर इसी उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसी प्रकार आजादी का जश्न , रंगपंचमी की गैर, झांकियां व सारे त्योहारो का आनंद भी राजबाड़ा पर आते है। यानी हमारा राजबाड़ा खुशियां ओर जश्न का मुख्य केंद्र के रूप में स्थापित हो चुका है।

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हर उत्सव व देशभक्ति के लिए तैयार रहता है राजबाड़ा

● क्रिकेट में जीत हो या अन्य विशेष उपलब्धियों पर यहां
पर लोग तिरंगा लेकर अपनी देशभिक्त की भावनाओं को इजहार करते हैं।
● रंगपंचमी पर शहर में निकलने वाली रंगारंग गैरे राजवाड़ा पर जरूर आती हैओर यही पर सबसे ज्यादा आनंद आता है।
● वहीं अनंत चतुर्दशी की सारी झांकिया भी अहिल्याबाई के सामने से गुजरती है।
● चुनाव के दौरान भी प्रत्याशी अहिल्याबाई की प्रतिमा पर
पूजा अर्चना करके ही जुलूस के रूप में नामांकन पत्र जमा करने जाते हैं।
◆ हर साल हरतालिका तीज के उत्सव पर महिलाओं का कब्जा राजवाड़ा पर ही रहता है। इस दिन महिलाएं राजवाड़े पर देर रात तक पर्व को
मनाती है।
● इसके अलावा कई त्योहार , जनजागृति रैलियां , गुड़ीपड़वा,अहिल्या उत्सव जैसे पर्व भी इसी चोक में मनाए जाते है।

रीगल चौराहे पर युवा से लेकर बुजुर्ग तक आते हैं और अपना सिर नमन करते है जितना चर्चित राजबाड़ा है उतना ही नाम रीगल चौराहे का है। यह चौराहा शहर का सबसे व्यस्त ओर पांच रास्तो को जोड़ने वाला है। चौराहे पर शहर के लोग शहीदों को श्रद्धांजलि देने तथा बड़ी घटनाओ व दुर्घनाओं पर मोमबत्ती जलाकर दुःख दर्द बांटते है। हर किसी के लिए दुख प्रकट करने का मुख्य स्थल बन चुका है। केंडल मार्च , मानव श्रृंखला , मोन जुलूस , ये सब यही पर होता है।इस स्थल पर शहर के युवा से लेकर बुजुर्ग तक आते हैं और अपना सिर नमन करते हैं। कई आंदोलन धरना प्रदर्शन भी होते है।

मोमबत्ती जलाकर किया जाता सभी को याद

● चौराहे पर गांधी प्रतिमा पर देश में कोई भी बड़ी घटना पर विरोध प्रदर्शन किया जाता है।
● गांधी प्रतिमा पर ही
मोमबती जलाकर शहीदों को याद किया जाता है।
● हर साल 26 जनवरी को इंडिया गेट बनाकर शहीदों की याद में अमर जवान ज्योति की मशाल जलाई जाती है।
● इस चौराहे पर श्रद्धांजलि स्वरूप सर्वधर्म प्रार्थना भी होती है।
● धरना , प्रदर्शन, सभाएं और मानव श्रृंखला आदि भी बनाई जाती है।
● शहीदों की याद में कैंडल मार्च भी निकाला जाता है।

56 दुकान यानी फूल एंजॉयमेंट

सराफा चौपाटी के साथ अब फूल इंजॉय मेन्ट के लिए 56 दुकान भी शहर का चर्चित खानपान वाला व्यवस्थित मार्किट बन गया है। शहर के लोग परिवार और यार दोस्त के साथ मिलकर थर्टी फस्ट दिसम्बर बड़े उत्साह और मौज मस्ती के साथ मनाते है। इस दिन यहाँ पर इतनी भीड़ रहती है की पेर रखने की जगह नही रहती है। अब 56 दुकान 31 दिसम्बर के लिए मौज – मस्ती जश्न ओर आनंद वाला स्थल बन गया है।

राजनेता व अभिनेता आते है 56 का आनंद लेने

● हर तरह का व्यंजन मिलता है।
● अवकाश वाले दिन यहां उत्सव जैसा माहौल लगता है।
● यहां बॉलीवुड की कई हस्तियां यहां के पोहे जलेबी का आनंद ले चुकी है।
● राजनेता भी 56 दुकान आने में पीछे नही रहे। राहुल गांधी , राजनाथ सिंह , लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला शिवराजसिंह , दिग्विजय सिंह समेत सेकड़ो नया यहां के व्यजनों का आनंद ले चुके है।