अभाविप स्थापना दिवस (9 जुलाई) विशेष-

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By Suruchi ChircteyPublished On: July 9, 2021

अनवरत 72 वर्षों से ज्ञान-शील-एकता के मंत्र को धारण कर राष्ट्र पुनर्निर्माण के लिये युवाओं का मार्गदर्शन कर रही है अभाविप- डॉ. पुनीत द्विवेदी शिक्षा में संस्कार के मूलमंत्र को धारण किये युवाओं का पथ प्रदर्शन कर रही है अभाविप अपने विभिन्न आयामों, प्रकल्पों एवं गतिविधियों के माध्यम से युवाओं में समाजसेवा एवं राष्ट्र प्रथम के मंत्र को धारण करने हित प्रेरक संगठन है अभाविप। थिंक इंडिया, मेडीविजन, एग्रीविजन, फ़ार्माविजन, वोसी (WOSY),राष्ट्रीय कलामंच, स्टूडेंट फ़ॉर सेवा, स्टूडेंट फ़ॉर डेवेलपमेंट, अनुभूति, मिशन साहसी,रक्तदान आदि प्रकल्पों एवं गतिविधियों का समागम है अभाविप।

छात्र राजनीति के द्वारा शिक्षा में सुधार लाने हेतु लगभग सात दशकों से अपना बहुमूल्य योगदान दे रही है अभाविप।
भारतीय राजनीति में भी राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों पर खुलकर बात करती है अभाविप। कोविड महामारी के दौरान सेवा के अग्रदूत के रूप में समाज के बीच उपस्थित एवं सेवार्थ तत्पर रही है अभाविप।

अभाविप स्थापना दिवस (9 जुलाई) विशेष-

आज अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का ७२ वां स्थापना दिवस है। ९ जुलाई १९४९ को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की स्थापना हुयी थी। विश्वविद्यालय, महाविद्यालय इकाई से लेकर प्रदेश एवं राष्ट्रीय पटल पर विद्यार्थियों की समस्याओं के समाधान का काम विश्व के सबसे बड़े विद्यार्थी संगठन अभाविप का है। स्वामी विवेकानंद जी के आदर्शों को आत्मसात् कर चरित्र निर्माण से राष्ट्र निर्माण की अवधारणा को मूर्त रूप देने का काम अभाविप, स्थापना दिवस से ही करती आयी है।

विद्यार्थी कल का नहीं अपितु आज का नागरिक है’ इस संदर्भ वाक्य के द्वारा विद्यार्थियों में देश और समाज के कल्याण हेतु एकजुट होने एवं सर्वस्व त्याग कर देने के भाव को जागृत करती आई है अभाविप। छात्रहित के साथ राष्ट्र हित की बात करनेवाला यह संगठन कश्मीर से धारा 370 हटाने हेतु आंदोलन करता है एवं बंग्लादेशी घुसपैठ के ख़िलाफ़ भी अपनी आवाज़ बुलंद करता है और सरकार को राष्ट्र हित के इन विषयों पर निर्णय लेने के लिये बाध्य करता है। राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्र को सर्वोपरि मानते हुए अलगाववाद एवं तुष्टिकरण के ख़िलाफ़ भी अपनी आवाज़ उठाता है।

अपने विभिन्न आयामों, प्रकल्पों एवं गतिविधियों के द्वारा प्रत्येक विद्यार्थी को जोड़कर राष्ट्रहित में लगाने का कार्य अभाविप करती है। मेडीविजन, मेडिकल अर्थात् हेल्थकेयर के क्षेत्र में अपनी महती भूमिका निभाता है। इस कोरोना काल में मेडीविजन ने ग्रामीण क्षेत्रों एवं शहरी बस्तियों की स्क्रीनिंग कर सेवा के अपने धर्म को सफलता पूर्वक निभाया है। स्टूडेंट फ़ार सेवा के द्वारा कोरोना पीड़ितों की सेवा एवं कोरोना लॉकडाऊन काल में निरीह ज़रूरतमंदों की सेवा की गई है। अभाविप, स्टूडेंट फ़ॉर डेवेलपमेंट के माध्यम से वृक्षारोपण एवं अन्य पर्यावरण संबंधी पहल जिसमें नदियों का संरक्षण भी सम्मिलित है, को बड़े ही सहज ढंग से करता है।

एग्रीविजन कृषि के क्षेत्र में अभिनव प्रयोगों को प्रचारित एवं प्रसारित करता है जबकि थिंक इंडिया के द्वारा राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों जैसे आई.आई.टी, आई.आई.एम, एन.एल.यू एवं स्टार्टअप एवं उद्यमिता के क्षेत्र में कार्य कर रहे इंक्युबेटर एवं एक्सीलेरेटर्स आदि संस्थानों में विद्यार्थी कार्य एवं नवाचारों को प्रमुखता दी जाती है। फ़ार्मा विजन फ़ार्मेसी क्षेत्र के विद्यार्थियों में नवाचार एवं शोध के विकास के लिये कार्य करता है। एक तरफ़ राष्ट्रीय कलामंच विद्यार्थियों में छुपी अद्भुत प्रतिभा को मंच देता है वहीं मिशन साहसी जैसे महिला सशक्तिकरण के कार्यक्रम छात्राओं को आत्मरक्षा की शक्ति प्रदान करता है।अनुभूति कार्यक्रम के द्वारा दूरदराज़ के आदिवासी क्षेत्रों में जाकर आदिवासी जीवन का अनुभव, जनजाति जीवन पद्धति का अध्ययन एवं सामाजिक समरसता का पाठ पढ़ाया जाता है।

वोसी (WOSY) अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंज प्रोग्राम के द्वारा अभाविप विद्यार्थियों में अंतरराष्ट्रीय एक्सपोज़र एवं सांस्कृतिक संवाद स्थापित करने का काम करती है। विद्यार्थी परिषद विद्यार्थियों में समाज के प्रति उत्तरदायित्व समझाने एवं उन्हें एक ज़िम्मेदार नागरिक बनाने का कार्य करती है।अपने महापुरुषों के आदर्शों को धारण कर कार्यकर्ता निर्माण के द्वारा अपनी शक्ति एवं ऊर्जा को विद्यार्थी एवं शिक्षा हित में लगाते हुये यह संगठन राष्ट्र पुनर्निर्माण हेतु कृतसंकल्पित है। अभाविप के कार्यकर्ता समाज के हित में सदा तत्पर रहते हैं।

अभाविप स्थापना दिवस (9 जुलाई) विशेष-

अभाविप पद की अपेक्षा दायित्व को महत्व देता है। यही दायित्वबोध समाज हित में अपना तन-मन-धन अर्पित करने को प्रेरित करता है। आज ऐसे महान संगठन के स्थापना का दिवस है। ऐसे सभी महापुरुषों, जिनकी संकल्पना से यह संगठन उठ खड़ा हुआ एवं अपने अभीष्ट की सिद्धि हेतु विद्यार्थी एवं शिक्षा विकास में अनवरत अपना योगदान देता आ रहा है उन्हें भी सादर नमन। छात्र शक्ति- राष्ट्र शक्ति।

लेखक – डॉ. पुनीत कुमार द्विवेदी