डॉ. बी. सी. छापरवाल
अभय छजलानी और नई दुनिया परिवार से पिछले 5 दशकों से अधिक समय से जुड़ा हुआ हूं इस संपर्क के आधार सूत्र मोहनलाल सुखाड़िया थे, जिन्होंने सन 1957 में नाथद्वारा से इंदौर आते वक्त कहा था कि बाबू लाभचंद जी छजलानी से अभिव्यक्त मिलेगा और मेरा सौभाग्य है कि मुझे आज भी इस परिवार से यह सुख प्राप्त है। अभय छजलानी जी सुमित सुदर्शन व्यक्ति के धनी है बहुमुखी प्रतिभा वाले व्यक्ति हैं समाज के विभिन्न वर्गों का विश्वास हासिल करने की योग्यता के कारण एक निर्भीक पत्रकार और संपादक के रूप में अपने मध्यप्रदेश और इंदौर शहर की समस्याओं पर बेबाक लिखा है इसी कारण आप सभी राजनीतिक दलों एवं जन जन में प्रिय। अध्ययन खेलकूद संगीत कला संस्कृति और विशेषकर इंडोर गेम्स में आपकी विशेष रुचि है।
![मित्रता की अद्वितीय मिसाल 4](https://ghamasan.com/wp-content/uploads/2023/03/WhatsApp-Image-2023-03-23-at-4.41.29-PM.jpeg)
इंदौर टेबल टेनिस ट्रस्ट में एक न्यासी के नाते सामाजिक संस्था का संचालन प्रगति और विकास लक्ष्य प्राप्ति का जुनून मैंने बहुत निकट से देखा है आज यशवंत कुंज के आसपास अभय प्रशाल के अलावा जो विशालतम खेल परिसर नजर आता है वह सब अभय जी की दूरदृष्टि सूज भुज एवं सतत प्रयास का प्रतिफल है अभय प्रशाल अपने आप में इंदौर शहर की विशिष्ट पहचान हे।शुरुआती दिनों में टेबल टेनिस स्टेडियम के निर्माण के लिए आर्थिक संस्थान जुटाने के लिए कुछ सीमाएं बनाई गई एक लॉटरी का प्रयोजन और स्वर सामग्री भारत रत्न श्री लता मंगेशकर की संगीत संध्या का आयोजन किया गया लेकिन संतोषी ने कई रुकावट पैदा कि हम निवासियों पर भी योग करने के लिए दबाव बनाया गया ऐसे में हम सभी ने डटकर मुकाबला किया संघर्ष और चुनौतियों से डरता से निपटने का नाम ही अभय छजलानी है प्रतिवर्ष लता अलंकरण समारोह उस संघर्ष की सफलता का प्रतीक है सामाजिक शैक्षिक राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों के आयोजन में अभय जी का सहयोग और मार्गदर्शन इन गतिविधियों की सफलताओं में चार चांद लगा देते हैं।
छजलानी विमल छजलानी और मित्रों की प्रमुख भूमिका रही है। जब इन सम्मेलनों के आयोजन का निमंत्रण दिया गया था तब सम्मेलन में आने वाले प्रतिनिधियों के लिए वैज्ञानिक सत्रों के लिए समुचित स्थान उपलब्ध नहीं थे अभय जी ने कहा चुनौती स्वीकार करो इंदौर की प्रतिष्ठा का सवाल है सब कुछ इंतजाम हो जाएगा विशेषकर में इंडियन साइंस कांग्रेस का जिक्र करना चाहूंगा तत्कालीन कुलपति डॉ महेंद्र सिंह सोढी इंदौर विश्वविद्यालय ओर से निमंत्रण दिया था शहर में स्थित सुविधाओं से अवगत नहीं थे। बड़े असमंजस मे थे। मुझे बुलाया और कहा कुछ करो अभय छजलानी से उस समय तक औपचारिक परिचय भी नहीं था फिर भी हमें सलाह दी कि 5000 वैज्ञानिकों का सम्मेलन जिसका उद्घाटन परंपरा से प्रधानमंत्री ही करते हैं।
करीब 1 सप्ताह तक सम्मेलन होता है उसके लिए एकमात्र उपयुक्त स्थान दिल्ली कॉलेज का प्रमाण है क्योंकि विश्वविद्यालय के पास 1000 व्यक्तियों के बैठने के लिए भी हॉल नहीं था उन दिनों दिल्ली कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ वेणुगोपाल थे मैं उस संस्थान का चिकित्सा सलाहकार था हमने अपना प्रस्ताव प्रबंधन मंडल को भेजा अभय जी ने सम्मेलन की विशेषता और हमारी कठिनाइयों से उन्हें अवगत कराया। प्रबंधन मंडल ने सारी सुविधाओं के बावजूद पूरा परिसर आवासों के इस सम्मेलन के लिए दिया इंडियन साइंस कांग्रेस का वह अद्वितीय सम्मेलन आज भी याद किया जाता है हमारी मित्रता के बावजूद एक अवसर ऐसा भी आया जब इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की इंदौर शाखा के भवन के शिलान्यास समारोह की अध्यक्षता करने का प्रस्ताव सशर्त स्वीकारा। सरस्वती के जिस भूमि पर शिलान्यास हो रहा है उसकी शासन से स्वीकृति होना अनिवार्य है वैसे तो उस समारोह के मुख्य अतिथि श्री मोतीलाल वोरा (मुख्यमंत्री) थे।
यह आदेश हमारे पास नहीं थे हमने तुरंत मुख्यमंत्री से संपर्क कर वस्तुस्थिति से अवगत कराया और देर रात को कलेक्टर को शासकीय स्वीकृति आने के बाद ही अभय जी ने समारोह की अध्यक्षता की। अभय जी कानून और व्यवस्था के पालन के पक्षधर हैं। हमारी मित्रता अपने अपने कार्य क्षेत्र में दबाव और हस्तक्षेप से हमेशा अलग रही है एक कुलाधिपति महोदय ने कटाक्ष करते हुए कहा कि अभय जी आपके मित्र हैं फिर भी कुछ अप्रिय खबरें क्यों छपती हैं मैने निवेदन किया कि मेरी मित्रता उनसे जीवन भर रहेगी मेरे कार्य में दखल देते हैं और नहीं मैं समाचार पत्र के बारे में उन्हें कुछ कह सकता हूं साथ में खड़े प्रशासनिक अधिकारियों का कहना था कि ऐसे समय आप को जवाब नहीं देना चाहिए। मैं कामना करता हूं अभय जी आने वाले अनेक वर्षों तक स्वस्थ रहकर सफलतापूर्वक समाचार जगत और इंदौर की सेवा करते रहेंगे भले देर से ही सही, भारत शासन ने गणतंत्र दिवस पर इस वर्ष पदम श्री से अलंकृत कर हम इंदौर वासियों को गौरवान्वित किया है हमें अपार हर्ष है।