नितिनमोहन शर्मा
शहर का एक बाज़ार वाला हिस्सा है। बीच शहर में आता है। पारंपरिक ओर पुश्तैनी ये बाज़ार हर वार त्यौहार पर अहिल्या नगरी की रौनक बनते है। दीप पर्व में तो सबसे खास। लेकिन अब ये अनूठे बाज़ार राजनीति के भी आकर्षण का केंद्र हो गए है। बीच शहर के ये छोटे बड़े एक दर्जन बाज़ार विधानसभा 4 का हिस्सा है जिसे भाजपाई जुबां में अयोध्या कहा जाता है।
बाज़ार एक तरह से अयोध्या की विरासत है और गौड़ परिवार की राजनीतिक विरासत का हिस्सा भी है। लखन दादा यानी स्व लक्ष्मण सिंह गोड़ इन बाजारों के एक तरह से संरक्षक थे। बाद में ये परम्परा और विरासत विधायक मालिनी गौड़ के हिस्से में आ गई। इस बार भी वे बाजारों में गई और सबसे मिली। बाद में महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने भी इन पारंपरिक बाजारों में दस्तक दी। दुकानो के बोर्ड पर टैक्स के मूददे पर व्यापारियों के निशाने पर आए महापौर सीधे उनके बीच पहुंचे। त्यौहार से अच्छा मौका बनता भी नही। वे बरतन बाज़ार से लेकर सराफा ओर साठा बाज़ार से कपड़ा मार्केट तक मे वे पहुंचे। सभी दुकानदारों ओर व्यापारियों से मिले और दीप पर्व की बधाइयां भी दी।
दिखने में ये एक सामान्य शिष्टाचार था लेकिन बाजार वाले एक हिस्से में “नए दावेदार “की आमद ने शहर की राजनीति में हलचल कर दी। व्यापारी भी हैरत में थे कि आज दो दो नेता हमारे दरवाजे पर…!! एक पूर्व महापौर। दूजे वर्तमान महापौर। दोनो का कर्म और जन्म क्षेत्र भी एक। त्यौहार भी एक, दीपावली। बाज़ार भी एक। अब तक केवल गोड़ परिवार ही आता रहा। पर अब पुष्यमित्र भार्गव भी। यानी अब बाज़ार एक, दावेदार दो।
‘ चुनावी दूल्हों में उत्साह, बुलावे भेजे
शहर के अनूठे पारंपरिक बाजार दीप पर्व की रौनक ही नही, शहर की राजनीति के भी आकर्षक का केंद्र हो चले है। दीपावली मिलन के बहाने नेताओ ने इन बाजारो में भी दस्तक दी। व्यापारियों के बीच पहुंचे नेताओ ने शुभकामनाओं के साथ स्वयम के लिए भी सम्भावनाये टटोली की बाजार पहले की तरह हमारे साथ है या नही। कैलाश विजयवर्गीय के बाद अब तक ये काम लखन दादा की विरासत के जिम्मे रहा करता था।
उन्होंने इसे परम्परा के रूप में स्थापित भी किया। वे इस हिस्से से विधायक भी थे जिसे अयोध्या नामकरण मिला हुआ है। दादा के दुःखद अवसान के बाद भाभी मालिनी गौड़ ने इस परंपरा को उसी शिद्दत से निभाया, जैसा दादा निभाते आये थे। इस बार भी वे बाजारों में पहुंची। शुरुआत बर्तन बाज़ार से की ओर बाद में इससे लगे सभी बाजारों में गई और दुकानदारों से मिली। जमकर स्वागत सत्कार भी हुआ। उनकी आरती भी उतारी गई।
लेकिन इस दीप पर्व पर इन पारंपरिक बाजारों में एक अन्य दावेदार भी उभरे ओर वे थे शहर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव। उनका भी जन्म और कर्म क्षेत्र अयोध्या ही है। लिहाजा वे भी बाजारों के पहुंचे। धनतेरस के दिन वे सराफा बरतन बाजार कपड़ा मार्केट सहित सभी प्रमुख बाजारों में गए। बगेर लव लश्कर ओर भीड़ के वे कुछ चुनिंदा समर्थको के साथ बाजारों में गए और दुकानदारों के बीच जाकर बेठे। रात 12 बजे के बाद भी वे सराफा व उससे लगे बाजारों में सक्रिय थे।
आमतौर पर इन बाजारो में ऐसा मूवमेंट गोड़ परिवार के अलावा किसी नेता का नही रहता। 1990 के दौर में एक समय तक दीपावली पर कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय इन बाजारों में आते रहे लेकिन अब उन्होंने ने भी आना छोड़ दिया। वे नंदानगर की अपनी पुश्तैनी किराना दुकान पर तराजू बाट के साथ धनतेरस से डेरा डाल देते है। इसलिए बाजारों की पूरी विरासत गोड़ कैम्प के पास ही रहती आई है। इस बार महापोर पुष्यमित्र भार्गव में बाजारों में पहुंचकर इंदौर की राजनीति में हलचल मचा दी है।
वही दूसरी तरफ नेताओ में भी दीपावली मिलन के बहाने अपने अपने घर और इलाको में महफ़िल जमाई। सबसे ज्यादा उत्साह उन चुनावी दूल्हों में था, जिन्हें मिशन 2023 में दो दो हाथ करने का मानस बना रखा है। ऐसे दूल्हों ने फोन कर कर के बुलावे भी भेजे ताकि मिलन समारोह भीड़ भरा नजर आए। ऐसी महफ़िल भाजपा खेमे में लगभग हर विधनासभा क्षेत्र में जमी। इसमे सुदर्शन गुप्ता से लेकर गौरव रणदिवे तक शामिल है।
गुप्ता की जाजम हर बार की तरह राजमोहल्ला चौराहे पर लगी। इसके लिए चौराहे के व्यस्ततम ट्रेफ़िक के बीच एक रास्ता एक दिन पहले से रोक दिया गया था। उस पर तंबू कनाट तानकर मिलन की महफ़िल तैयार की गई। हालांकि तेजी से बदलते राजनीतिक हालातो के मद्देनजर इस बार गुप्ता की महफ़िल वो रंग नही छोड़ पाई जो हर बरस रहा करता था। निगम चुनाव हो जाना भी इसका एक कारण रहा। अन्यथा पार्षदी के दावेदारो की भीड़ जमा रहती।
विधानसभा 2 में तो ‘ दादा दयालु ‘ का दरबार 12 महीने ही लगा रहता है। लिहाजा दीपावली पर अलग से कोई महफ़िल सजाने ओर बुलावे देने की जरूरत ही नही पड़ी। दयालु के सोकर उठने से पहले ही मिलने वालों का तांता 7 नम्बर रोड पर लग गया था। इस बार कैलाश विजयवर्गीय के इंदौर में ही रहने से नंदानगर में रंगत सबसे ज्यादा थी। एक तरफ विजयवर्गीय मेलमिलाप कर रहे थे तो दूजी ओर रमेश मेंदोला ( दादा दयालु) मुंह मीठा करा रहे थे।
विधनासभा 3 के युवा विधायक का सड़क पर मूवमेंट इन दिनों ज्यादा हो रहा है। वे दीप पर्व के पहले से वार्डवार परिक्रमा कर ही रहे थे। लिहाजा एक स्थान पर भीड़ जमा करने के वे इलाके के लोगो के बीच सीधे पहुंचे और उनका शुभाशीष लिया। आकाश विजयवर्गीय ने अपने इलाके की गोवर्धन पूजा को भी मिलने मिलाने का केंद्र बनाया और सब जगह वे पहुंचे।
विधानसभा 4 की महफ़िल का केंद्र लोधीपुरा ही रहा। यहां एक दिन पूर्व ही सूचना दे दी गई थी कि सुबह 10 30 के बाद विधायक मालिनी गौड़ ओर नगर उपाध्यक्ष एकलव्य सिंह गोड़ उपलब्ध रहेंगे। यहां दोपहर ढाई बजे बाद तक मिलन समारोह चलता रहा। अलग अलग इलाको से पहुंचे नेताओ ओर समर्थको ने मालिनी गोड़ के साथ सेल्फी भी खूब ली। भाल पर लम्बा केसरिया तिलक ओर गले में भगवा दुपट्टा डाले विधायक गोड़ सबका आकर्षक का केंद्र बनी हुई थी।
विधानसभा 5 के विधायक यू तो महेंद्र हार्डिया है लेकिन उनके इलाके में मजमा नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे लूट ले गए। गौरव इसी विधानसभा के निवासी है। राऊ के अलावा इस सीट से भी दावेदार है। लिहाज उनका दीपावली मिलन समारोह सबसे हटकर रहा। शहरभर से नेता कार्यकर्ता और सामान्यजन रणदिवे से दीपावली मिलने पहुंचे। बतौर नगर अध्यक्ष ऐसा मिलन समारोह रमेश मेंदोला के बाद गौरव का ही रहा। विधायक हार्डिया समर्थको की माने तो बाबा तो सालभर ही जनता के बीच रहते है। अलग से ‘ तमाशे ‘ की क्या जरूरत?