16 दिसंबर को सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करने के साथ ही खरमास का प्रारम्भ हो जाएगा। ज्योतिषियों के दृष्टिकोण से देखा जाए तो साल में दो बार खरमास आता है। जब-जब सूर्य बृहस्पति की राशि धनु और मीन में प्रवेश करते हैं,तब-तब खरमास लगता है।
भगवान सूर्यदेव दिसंबर माह के बीच धनु राशि में प्रवेश करते हैं। 16 दिसंबर को सूर्य देव के धनु राशि में प्रवेश करने के साथ ही खरमास का प्रारंभ हो जाएगा।खरमास में सूर्य अपने तेज को देवगुरु बृहस्पति के घर पहुंचते ही कम कर लेते हैं,ऐसी स्थिति में पृथ्वी पर सूर्य का तेज कम हो जाता है। सूर्य के दुर्बल होने की वजह से एक महीने के लिए मांगलिक कार्यों पर रोक लगा दी जाती है। जब सूर्य गुरु की राशियों में होता है,तब सूर्य के तेज से गुरु की राशि धनु और मीन दुर्बल हो जाती है। ऐसी स्थिति में शुभ कार्यों के अपूर्ण होने की आशंका रहती है,इसलिए इस समय प्रभु का स्मरण करना बहुत पुण्यदायी और फलदायी माना जाता है।
खरमास की अवधि में विवाह,मुंडन संस्कार,यज्ञोपवीत,गृहप्रवेश या नीवं का मुहूर्त आदि, अनेक शुभ कार्य नहीं किए जाते। सुख-समृद्धि एवं पुण्यों में वृद्धि के लिए खरमास में कुछ धार्मिक कार्य बताए गए हैं।
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खरमास के पर्यन्त करें ये विशेष काम
खरमास के प्रारम्भ होने पर ‘गोवर्धनधरवन्देगोपालं गोपरूपिणम् गोकुलोत्सवमीशानं गोविन्दं गोपिकाप्रियम्‘ मंत्र का जप अवश्य करना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि पीले वस्त्र धारण करके इस मंत्र का जप करना बहुत शुभदायी माना जाता है।
1 खरमास में प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाए, इसके बाद भगवान विष्णु का केसर युक्त दूध से अभिषेक करें। इतना ही नहीं,तुलसी की माला से 11 बार भगवान विष्णु के मंत्र ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः’का जप करे ,इस मंत्र के जप करने से अनंत पुण्यों की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि खरमास में भगवान विष्णु की पूजा करने से समस्त पापों का नाश होता है साथ ही घर में यश-वैभव का आगमन होता है। और मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं.
2 ऐसी मान्यता है कि खरमास के दिनों में भगवान सूर्यदेव की पूजा-उपासना करने से जातक की कुंडली में सूर्य की स्थिति काफी मजबूत होती है और व्यक्ति के जीवन में सुख और समृद्धि का भी आगमन होता है। इस महीने में आदित्य ह्रदय स्त्रोत का पाठ करना विशेष फलदाई होता हैं.
3खरमास में मनुष्य को दान-पुण्य आदि, करने से पुण्यों में वृद्धि होती है एवं जीवन में आए तमाम संकट दूर होने लगते हैं। भगवान श्री विष्णु के पसीने से तिल,कुश,कपास की उत्पत्ति हुई है इसलिए इन्हें बड़ा ही पवित्र माना गया है। खरमास में तिलदान करने से दु:स्वप्नों का नाश व विभिन्न रोगों से मुक्ति मिल जाती है।
4 खरमास में प्रतिदिन तुलसी पूजन अवश्य करना चाहिए और साथ ही घी का दीपक भीं जलाना चाहिए। साथ ही तुलसी की 11 बार परिक्रमा करें और ओम नमोः भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जप करें। ऐसा करने से यश व वैभव की प्राप्ति होती है। खरमास में तुलसी पूजा करने से सभी प्रकार के ग्रह-नक्षत्र शुभ फल देते हैं,जिससे जीवन में सुख-शांति बनी रहती है और हर कार्य आसानी से बनने लगते हैं। मनुष्य को दांपत्य जीवन में किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ता हैं.
5 खरमास में प्रत्येक दिन भगवान शिव की उपासना एवं पवित्र नदियों में स्नान कर दान करना बहुत पुण्यकारक माना गया है। रोजाना श्री रामचरितमानस एवं गीता का पाठ करना चाहिए ऐसा करने से हमारे पुण्य में वृद्धि होती हैं। साथ ही समस्त पापों का भी नाश होता हैं.