Karwa Chauth 2021 : आज देशभर में करवा चौथ का त्यौहार मनाया जाएगा। खास बात ये है कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी, करवा चौथ रविवार को रवि रोहिणी योग में मनाई जाएगी। दरअसल, धर्मशास्त्र में वर्षभर में आने वाली 12 कृष्ण पक्ष की चतुर्थी में करवा चौथ को प्रधानता दी गई है। इस दिन महिलाऐं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती है।
साथ ही साज श्रंगार करती है। मेहंदी लगाती है। वहीं सास अपनी बहू को सरगी देती है। इस सरगी को खाकर करवा चौथ व्रत करती हैं। ये व्रत निर्जला व्रत होता है। शाम को चंद्र दर्शन के बाद महिलाऐं व्रत खोलती हैं। इसे संकष्टी चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। वहीं शनिवार को दिनभर सुहागिन महिलाएं व्रत की तैयारियों में जुटी रहीं। आकर्षक मेहंदी रचाई, सोलह श्रृंगार का सामान जुटाया।
ब्रह्म शक्ति ज्योतिष संस्थान केज्योतिषाचार्य पंडित के मुताबिक, रविवार को रोहिणी नक्षत्र, वरियान योग, बव करण तथा वृषभ राशि के चंद्रमा की साक्षी में करवा चौथ मनाई जाएगी। ऐसे में पंचांग के इन पांच अंगों की स्थिति इस लिए श्रेष्ठ है कि रविवार को सप्ताह का सबसे बड़ा दिन माना जाता है।
बता दे, रोहिणी नक्षत्र को 27 नक्षत्रों में विशेष मान्यता दी गई है। वरियान योग भी 27 योगों में प्रमुख स्थान रखता है। क्योंकि इस योग के स्वामी कुबेर हैं। वृषभ राशि के चंद्रमा को भी उच्च कहा जाता है। बताया जाता है कि पंचांग की यह श्रेष्ठ स्थिति करवा चौथ पर व्रती महिलाओं को पूजन का शुभफल प्रदान करेगी। ऐसे में उच्चे के चंद्रमा का दर्शन सुख, सौभाग्य में वृद्धि करेगा। वहीं रवि रोहिणी योग का संयोग पति पत्नी व परिवार में प्रेम संबंध को प्रगाढ़ता प्रदान करेगा।
इसको लेकर मां चामुंडा दरबार के पं. ने बताया है कि यह व्रत पति की दीर्घायु एवं परिवार की सुख समृद्धि की कामना के लिए रखा जाता है। यह व्रत दांपत्य जीवन के मनमुटाव को दूर करता है। चंद्रमा के प्रभाव से मन को शीतलता भी प्रदान करता है। कन्याएं भी सुयोग्य वर के लिए यह व्रत रखती हैं। करवा चौथ के अवसर पर मिट्टी के करवा में पूजन सामग्री रखकर चंद्रमा को अर्ध्य दिया जाता है।