Indore News : सांसद लालवानी बोले- स्वच्छता की तरह स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी इंदौर बनेगा नंबर वन

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इंदौर (Indore News) : इंदौर में लगातार स्वच्छता के साथ-साथ इन दिनों अन्य क्षेत्रों में भी बाजी मारने की तैयारी की जा रही है। बताया जा रहा है इंदौर जिले में मातृ मृत्यु दर एवं शिशु मृत्यु दर कम करने तथा परिवार कल्याण सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु महिला एवं बाल विकास विभाग तथा स्वास्थ्य विभाग द्वारा ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में कार्यशाला आयोजित की गई। इस अवसर पर सांसद शंकर लालवानी, कलेक्टर मनीष सिंह, डॉ. निशांत खरे, सभी ग्रामीण क्षेत्रों के एसडीएम, सीएमएचओ डॉ. बी.एस. सैत्या, महिला एवं बाल विकास अधिकारी श्री रामनिवास बुधोलिया, स्वास्थ्य विभाग एवं महिला बाल विकास विभाग के सभी अधिकारी, समस्त आशा, एएनएम, सेक्टर डॉक्टर, बीएमओ, बीसीएम, सीडीपीओ, सुपरवाइजर्स एवं आंगनवाड़ी कार्यकर्ता उपस्थित रहे। कार्यशाला में सभी उपस्थित अधिकारियों एवं कर्मचारियों को मातृ एवं शिशु मृत्यु दर कम करने की दिशा में अपनाई गई रणनीति के संबंध में जानकारी दी गई। इस अवसर पर उत्कृष्ट कार्य करने वाली आशा, एएनएम, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता तथा चिकित्सकों को सांसद लालवानी एवं कलेक्टर द्वारा प्रशंसा पत्र वितरित किये गये।

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एक लाख जरूरतमंदों का कराया जाएगा निशुल्क स्वास्थ्य उपचार
सांसद शंकर लालवानी ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजादी का अमृत महोत्सव के तहत प्रगतिशील भारत के भविष्य की परिकल्पना की थी। इसी परिकल्पना में देश में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने का लक्ष्य भी रखा गया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रदेश में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि हमें शासन द्वारा निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करना है तो छोटे कर्मचारी से लेकर वरिष्ठ अधिकारियों तक की जवाबदेही निर्धारित करनी होगी। सभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सीडीपीओ, सुपरवाइजर, आशा, एएनएम एवं सेक्टर डॉक्टर अपनी-अपनी जिम्मेदारियों का पूरी निष्ठा के साथ निर्वहन करें। सांसद लालवानी ने कहा कि आयरन की टेबलेट और इंजेक्शन के साथ-साथ गर्भवती महिलाओं को पर्याप्त हाई प्रोटीन डाइट भी उपलब्ध हो इसके लिए डॉ. अनिल भंडारी द्वारा हाई प्रोटीन आहार के पैकेट्स उपलब्ध कराए जा रहे हैं।सांसद लालवानी ने बताया कि जिला प्रशासन के समन्वय के साथ इंदौर शहर के एक लाख जरूरतमंदों का निशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस स्वास्थ्य परीक्षण का बाजार मूल्य दो हजार रूपये है जिसे इस शिविर में मात्र 150 रूपये में कराया जाएगा। यह 150 रूपये भी जनभागीदारी के माध्यम से दिए जाएंगे। उन्होंने सभी एसडीएम से भी अनुरोध किया कि वे इसी तरह के शिविर लगाने का प्रयास अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में भी करें। उन्होंने कहा कि इस तरह के स्वास्थ्य परीक्षण से हम समय रहते जरूरतमंद व्यक्तियों को बड़ी बीमारियों से ग्रसित होने से बचा सकेंगे। उन्होंने कहा कि जिस तरह से स्वच्छता के क्षेत्र में इंदौर नंबर वन है वैसे ही स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी इंदौर को नंबर वन बनाने का संकल्प आज हम सब मिलकर लें। 

ये केवल शासकीय कार्य नहीं है बल्कि मानवीय कार्य है
कलेक्टर श्री मनीष सिंह ने कहा कि मातृ और शिशु मृत्यु दर कम करने में हर संबंधित अधिकारी-कर्मचारी अपने दायित्वों का पूरी संवेदनशीलता के साथ निर्वहन करें। ये केवल शासकीय कार्य नहीं है बल्कि मानवीय कार्य है। उन्होंने कहा कि मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए हमें इस कार्य की गंभीरता को समझना जरूरी है। जिस तरह से हम अपने बच्चों का ध्यान रखते हैं उसी तरह से गर्भवती महिला और उनके बच्चों का ध्यान रखना हमारी जिम्मेदारी है। कलेक्टर श्री सिंह ने सभी आशा एवं आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को निर्देश दिये कि ए.एन.सी. चेकअप नियमित रूप से करें। महिलाओं को ब्रेस्ट फीडिंग के बारे में पर्याप्त जानकारी दी जाए।

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आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा समय पर पोषण आहार वितरित किया जाए तथा यह सुनिश्चित किया जाए कि इस आहार का सेवन केवल गर्भवती महिला द्वारा किया जाए, परिवारों की काउंसलिंग समय-समय पर की जाए तथा कार्यशाला में बताई गई हर एक गाइडलाइन का पूरी निष्ठा के साथ पालन किया जाए। उन्होंने कहा कि यूनाइटेड नेशन द्वारा निर्धारित किए गए सोशल डेवलपमेंट गोल्स में भी मातृ तथा शिशु मृत्यु दर को कम करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसे एक लक्ष्य की तरह नहीं बल्कि एक संकल्प की तरह पूरा करें। यदि हर कोई पूरे अनुशासन और निष्ठा के साथ इस कार्य में अपना सर्वस्व समर्पित करेगा तो आगामी 6 महीने के अंदर हम जिले में सुधार की स्थिति देखेंगे।

कलेक्टर सिंह ने कहा कि इंदौर जिले में शत प्रतिशत संस्थागत प्रसव हो इसको प्राथमिकता दी जाए। कुपोषण, इनेमिया एवं अन्य बीमारियों से ग्रस्त महिलाओं एवं बच्चों को सही उपचार मिले इसकी जिम्मेदारी भी स्वास्थ्य एवं महिला बाल विकास विभाग की है। उन्होंने सभी एसडीएम को निर्देश दिए कि वे प्रतिमाह इस संबंध में नियमित रुप से बैठक लेकर मातृ तथा शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिये किये जा रहे कार्यों की समीक्षा करें। यह भी सुनिश्चित करें कि उनके संबंधित क्षेत्र में नियमित रूप से आंगनवाड़ी खुल रहे हैं कि नहीं अगर कोई आंगनवाड़ी नहीं खुल रही है तो तत्काल उस आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और संबंधित सुपरवाइजर के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि इस कार्य के लिए हमें गुणवत्तापूर्ण सुधार की आवश्यकता है, हम सभी संवेदनशील हो तथा पूरे अनुशासन के साथ इस कार्य में अपना सर्वस्व निछावर करें। कलेक्टर श्री सिंह द्वारा कार्यशाला में उपस्थित सेक्टर डॉक्टर्स एवं महिला बाल विकास विभाग की सीडीपीओ/ सुपरवाइजर की ज़िम्मेदारी निर्धारित की गयी है की मातृ मृत्यु/ शिशु मृत्यु होने पर उन्होंने अपने मॉनिटरिंग दायित्वों का निर्वहन किया है की नहीं। हर मृत्यु पर गम्भीरता से डेथ ऑडिट किया जाएगा और जिम्मेदार व्यक्ति जिसके द्वारा लापरवाही दिखाई गई है उसके विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी।

कार्यक्रम में डेट ऑडिट के दौरान पाई गई दो केस स्टडीज में संबंधित एएनएम एवं सेक्टर डॉक्टर के विरुद्ध कलेक्टर  मनीष सिंह ने डिसीप्लिनरी एक्शन लेने के भी निर्देश दिए। डॉ निशांत खरे ने कहा कि मातृ मृत्यु दर एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए जन जागरण अभियान चलाया जाना आवश्यक है। लोगों को इस संबंध में जरूरी जानकारी से अवगत कराया जाए और बच्चे एवं मां की सुरक्षा के लिए क्या-क्या उपाय अपनाए जा सकते हैं इसके संबंध में जरूरी काउंसलिंग दी जाए। सभी आशा, एएनएम एवं आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं को चिन्हित कर उन्हें जरूरी उपचार दिलवाने में अपना योगदान प्रदान करें। उन्होंने कहा कि आज हम सभी यहां यह संकल्प लें कि हम अपनी दुगनी क्षमता के साथ जिले की मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने में अपना पूरा सहयोग प्रदान करेंगे साथ ही इंदौर जैसे हर क्षेत्र में अव्वल आ रहा है उसी तरह इस क्षेत्र में भी एक अनुकरणीय मिसाल पेश करेगा।

कार्यशाला में बताया गया कि एसआरएस 2017-19 के अनुसार भारत की मातृ मृत्यु दर 103 तथा मध्यप्रदेश की 163 है एवं एन्युअल हेल्थ सर्वे 2012-13 के अनुसार इंदौर संभाग की मातृ मृत्यु दर 164 है। इसी तरह एसआरएस (अक्टूबर 2021) के अनुसार भारत की शिशु मृत्यु दर 30 तथा नेशनल फैमली हेल्थ सर्वे-5 के अनुसार मध्यप्रदेश की शिशु मृत्यु दर 41.3 है एवं एन्युअल हेल्थ सर्वे 2012-13 के अनुसार इंदौर जिले की शिशु मृत्यु दर 37 है। इसी तरह एसआरएस 2016-18 के अनुसार भारत की कुल प्रजन्न दर 2.2, नेशनल फैमली हेल्थ सर्वे-5 के अनुसार मध्यप्रदेश कुल प्रजन्न दर 2 तथा एन्युअल हेल्थ सर्वे 2012-13 के अनुसार इंदौर जिले की कुल प्रजन्न दर 2.2 है।