Indore: कार्यक्रम के शुभारंभ में ही मनोज भावुक ने कहा कि 2003 बैच के मध्यप्रदेश कैडर के आईपीएस अधिकारी हरिनारायण चारी मिश्र को आमंत्रित करते हुये उत्साहित इसलिए भी हूँ कि वह मेरे गृह जनपद सिवान से हैं, मेरे थाना रघुनाथपुर से हैं यानी मेरे गाँव-घर से हैं। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री जिसकी तारीफ करते हैं, दूसरे पुलिस अधिकारियों के सामने जिसका उदाहरण देते हैं, जिसे एमपी का सिंघम कहते हैं । आज उस अचीवर की कहानी लेकर आया है अचीवर्स जंक्शन।
फिर खुली हरिनारायणाचारी मिश्र की जिंदगी की किताब जिसमें उनकी प्राथमिक शिक्षा वाले सरकारी विद्यालय, रघुनाथपुर के मध्य विद्यालय, राजपुर के उच्च विद्यालय से होते सीवान के DAV कॉलेज और फिर BHU में ग्रेजुएशन व पोस्ट ग्रेजुएशन के तमाम पन्ने बड़ी रोचक ढंग से पढे गए। इसमें स्कूल-कॉलेज की स्मृतियों के साथ कई पुराने साथियों व गुरुजनों का भी जिक्र चला। इस बातचीत में हरिनारायणाचारी मिश्र के बीचयू के मित्र वरिष्ठ पत्रकार सुशील कुमार सिंह, धनंजय कुमार मिश्रा, रवि भूषण तिवारी, छोटे भाई दामोदर मिश्र व जागो भारत फाउंडेशन के संस्थापक मुन्ना सिंह भी जुड़े और मिश्र के प्रति अपने भाव रखे।
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इस बातचीत में मिश्र ने गाँव की सत्ता और महत्ता पर विशेष जोर दिया। हर परिस्थिति में मनोबल को बनाकर रखने की बात कही। मिश्र 1998 में PCS की परीक्षा पास कर ट्रेजरी अधिकारी और 2001 में IRTS पास कर रेलवे अधिकारी बने और 2003 में IPS बने। उन्हें मध्यप्रदेश राज्य का कैडर मिला।
पुलिसिंग की चुनौतियों और अपनी पूरी यात्रा पर मिश्र ने बड़ी बेबाकी से बातचीत की। सिनेमा के स्क्रीन प्ले की तरह मनोज भावुक अपने सवालों से फॉर्मेट बना रहे थे तो मिश्र अपने खूबसूरत संवादों से ऐसा रंग भर रहे थे जैसे कोई फिल्म चल रहा हो। बालाघाट में नक्सलियों के सफाया की बात हो, खंडवा में धार्मिक उन्माद शांत करने का मामला हो, जिसके लिए मिश्र को राज्य सरकार ने इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार दिया था या फिर जबलपुर में पुलिस अधीक्षक रहते हुए सुसाइड के मामलों में रोकथाम के लिए संजीवनी हेल्पलाइन की शुरुआत की बात हो, सब पर विस्तार से और रोचक ढंग से सवाल-जबाब हुए।
इंदौर के प्रथम पुलिस कमिश्नर मिश्र को उनकी शानदार कार्यशैली, सोशल पोलिसिंग और साहसिक कारनामों के लिए ही तो वीरता पुरस्कार के लिए चुना गया। इतना हीं नहीं उन्हें अखिल भारतीय सारस्वत परिषद का सर्वोच्च सम्मान मालवीय प्रज्ञा सम्मान 2019 से भी नवाजा गया। उनका नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज हुआ। उन्हें प्राइड ऑफ इंडिया अवार्ड से भी नवाजा गया।
इस पूरे साक्षात्कार में मिश्र की यात्रा के बहाने उनकी पर्सोनल और प्रोफेशनल जिंदगी के साथ ही साथ उनके मन की बात और अंतरात्मा की आवाज भी गूँजती रही। इसे आप इंटरव्यू बेस्ड सिनेमा कह सकते हैं।
मनोज भावुक इसी तरह के इंटरव्यू के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने अमिताभ बच्चन से लेकर नामवर सिंह, केदार नाथ सिंह, कुमार विश्वास सरीखे डेढ़ सौ से ज्यादा अचीवर्स का इंटरव्यू किया है।