Indore News : वनमंडल इंदौर के द्वारा कल मध्य प्रदेश वृक्षारोपण प्रोत्साहन विधेयक 2021 के संबंध मे एक कार्यशाला यूनिवर्सिटी कैम्पस खंडवा रोड पर आयोजित की गई जिसमें इस विधेयक के संबंध में सुझाव देने के लिए किसानों, आरा मशीन धारको एवं पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाली संस्थाओं को बुलाया गया था। इस विधेयक में पौधारोपण के बदले में पेड़ों को काटने एवं उसके परिवहन पर छूट देने का प्रावधान है इस विषय पर संस्था पर्यावरण प्रहरी विकास मंच के प्रदेश अध्यक्ष राजबीर सिंह होरा ने घोर आपत्ति दर्ज करवाई है । उनका कहना है कि इस विधेयक के प्रारूप का सूक्ष्मता से अध्ययन करने पर पता चलता है कि इसमें वृक्षारोपण के प्रोत्साहन के लिए कोई व्यवस्था ना होकर सिर्फ पेड़ कटाई को प्रमोट करने का कार्य किया जा रहा है जो कि पर्यावरण के लिए बहुत ही घातक सिद्ध होगा ।
राजबीर सिंह होरा ने बताया कि विगत वर्षों का अनुभव है कि शासन ने पूर्व में भी वनों के बाहर हरियाली के आवरण को बढ़ाने के उद्देश्य से 24 सितंबर 2015 को कृषकों को 52 प्रजातियों के पेड़ों की कटाई के उपरांत परिवहन पर छूट प्रदान की थी उसका बेजा फायदा लकड़ी माफिया / संगठित माफिया द्वारा उठाया गया तथा ऐन केन प्रकारेण निजी भूमि , राजस्व भूमि एवं वन भूमि पर लगे हुए वृक्षों को काटकर हरियाली को लगातार नुकसान पहुंचाया गया। उनके द्वारा प्रदेश में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई की गई। जिसके फलस्वरूप हरियाली का आवरण कम हुआ जबकि वह छूट जंगलों के बाहर हरियाली के आवरण को बढ़ाने के उद्देश्य से दी गई थी। उन्होंने वन विभाग से पूछा क्या वन विभाग बता सकता है कि परिवहन पर दी गई उस छूट से जंगल के बाहर हरियाली का आवरण कितना प्रतिशत बढ़ा ?
उस दी गई छूट की आड़ में लगातार हरे भरे पेड़ों की हो रही कटाई को लेकर हर स्तर पर पर्यावरण प्रेमियों की शिकायतों के बाद भी वन विभाग एवं प्रशासन ने उन पर किसी भी प्रकार का अंकुश नहीं लगाया। पश्चात पर्यावरण प्रेमियों को उच्च न्यायालय जाना पड़ा। इंदौर उच्च न्यायालय द्वारा 18/07/2019 को छूट पर स्थगन दिया गया। जब माननीय उच्च न्यायालय द्वारा इस पर स्थगन दिया गया है तो इसके विपरित नियम क्यों बनाने जा रहे हैं? राजबीर सिंह होरा के मुताबिक इस विधेयक की जो सबसे खतरनाक बात है वह यह है कि वृक्षारोपण की परिभाषा में प्राकृतिक रूप से उगे हुए वृक्षों यानी पहले से लगे हुए पेड़ों को सम्मिलित किया गया है जो कि न्यायोचित नहीं है एवं इससे हरियाली का विनाश होगा और जंगल भी तबाह होंगे और जंगलो के बाहर के पेड़ भी बड़े पैमाने पर काटे जाएंगे ।
वन विभाग अवैध कटाई को आज की स्थिति में रोकने में सक्षम नहीं है तो वन विभाग यह अतिरिक्त भार किस प्रकार से संभालेगा ? अगर पेड़ कटाई पर छूट देना है तो केवल किसान के द्वारा उगाए गए पेड़ों की कटाई पर ही छूट देनी चाहिए जिसके लिए इस विषय पर होरा ने वन विभाग को निम्नलिखित सुझाव दिए हैं –
1. इस विधेयक के 2 (ज) में वृक्षारोपण से अभिप्रेत है में से प्राकृतिक रूप से उगे हुए एवं पूर्व के स्थापित पेड़ों को बाहर करना चाहिए।
2. लगाए गए वृक्षों को खसरे में चढ़ाया जाना अत्यंत आवश्यक होना चाहिए।
3. लगाते समय यह बताना चाहिए कि पेड़ कब, कितने समय में काटे जाएंगे।
4. काटी गई लकड़ियों को कहां और किस को बेचा जाएगा।
5. मध्य प्रदेश वृक्षारोपण प्रोत्साहन विधेयक 2021 के प्रारूप में काउंटर चेकिंग की व्यवस्था रखना आवश्यक है।
राजबीर सिंह होरा के द्वारा उल्लंघन के लिए निम्नलिखित दंड रखने की मांग की है –
(1) व्यक्ति या उत्पादक के द्वारा उपबंधों के उल्लंघन पेड़ों को काटे जाने पर न्यूनतम 2 साल की सजा एवं कम से कम ₹25 हजार एवं अधिकतम ₹1 लाख प्रति पेड़ के हिसाब से जुर्माना होना चाहिए। जुर्माने की एक राशि तय करना होगा ताकि अधिकारी उससे कम जुर्माना ना कर सके क्योंकि देखने में यह आता है कि अधिकतम राशि तय कर दी जाती है और अधिकारी उसके आड़ में मनमर्जी करता है और अपराधी को लाभ पहुंचाने के लिए कम से कम जुर्माना करता है।
(2) पांच से अधिक पेड़ काटे जाने पर दोषियों पर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 15 के तहत कार्यवाही करने का प्रावधान होना चाहिए।
कार्रवाई करने का अधिकार –
कार्रवाई करने के लिए पुलिस, वन विभाग एवं राजस्व विभाग को सामूहिक रूप से सम्मिलित कर पर्यावरण फोर्स का गठन करना चाहिए। होरा ने अधिकारियों से उक्त सुझावों को इस विधेयक में शामिल करने का निवेदन किया है ताकि सरलीकरण की प्रक्रिया के फल स्वरूप निजी एवं शासकीय भूमि पर हरियाली के आवरण का अतिदोहन ना होने पाए तथा जिस अच्छे उद्देश्य से यह विधेयक का प्रारूप बनाया गया है। वह भविष्य में हरियाली की दुर्गाति का कारण ना बने ।