इंदौर : लॉकडाउन से उपजे गंभीर आर्थिक संकट की मार झेल रहे पालकों की समस्या को लेकर उच्च न्यायालय के समक्ष पेश याचिका पर मंगलवार को अंतिम सुनवाई की गई। इसमें स्कूल प्रबंधनों द्वारा लगातार फीस भरने को लेकर पालकों पर बनाए जा रहे दबाव और ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर की जा रही पूरी फीस वसूली के ख़िलाफ़ पालकों और स्कूल प्रबंधनों के बीच समन्वय बनाने के लिए प्रस्ताव बुलाए गए थे। इस पर जागृत पालक संघ द्वारा पालकों की ओर से प्रस्ताव पेश किया गया।
संघ के वकील चंचल गुप्ता ने इसे लेकर बताया कि पिछली तारीख पर न्यायालय ने सभी पक्षों से अपने-अपने प्रस्ताव देने के लिए कहा था। इस पर जागृत पालक संघ ने भी अपना प्रस्ताव दिया था। मंगलवार को न्यायालय ने सभी पक्षों को और उनके प्रस्ताव को सुनकर फैसला सुरक्षित रखा है। उक्त सभी प्रस्ताव और कानूनी पक्ष का अध्ययन कर कोर्ट जल्द ही फैसला सुना सकती है।
जागृत पालक संघ द्वारा पालकों की ओर से रखे गए ये प्रस्ताव…
- जब तक स्कूल बंद रहते हैं और ऑनलाइन पढ़ाई होती है, उस अवधि में नियमित रूप से ली जाने वाली ट्यूशन फीस नहीं लेते हुए जब से स्कूल शुरू होते हैं तब से फीस ली जाए।
- स्कूल बंद रहने की अवधि मैं होने वाले स्कूल संचालन के खर्च की पूर्ति स्कूल संचालक अपने खर्चों में जैसे शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों के वेतन में कटौती करके व अपने आरक्षित कोष का इस्तेमाल करके करें।
- कॉशन मनी के रूप में जमा राशि से होने वाले लाभ से स्कूल का विस्तार करने की बजाए वर्तमान समय के खर्चों की पूर्ति उस राशि से की जा सकती है ।
- यदि स्कूल संचालन के लिए आर्थिक समस्याएं आती है तो उस राशि की कमी की पूर्ति स्कूल के सभी विद्यार्थियों से फीस के रूप में न्यूनतम औसत राशि लेकर की जा सकती है जिसमें सभी पालक सहर्ष सहयोग करेंगे ।
- वास्तविक खर्चों की पूर्ति के लिए आवश्यक राशि सभी विद्यार्थियों में समान रूप से बांटकर औसत फीस के रूप मे ले लें, जिससे पालकों को भी राहत मिल सके और स्कूल संचालन में आपको भी परेशानी ना होवें।
- जो पालक आर्थिक परेशानी के कारण फीस भरने में सक्षम नहीं हो उन्हें ऑनलाइन पढ़ाई से वंचित ना किया जाए और उन्हें जो भी न्यूनतम फीस तय हो उस फीस को जमा करने के लिए उचित समय प्रदान किया जाए।
- ऑनलाइन पढ़ाई के स्तर में सुधार किया जाए क्योंकि अभी जिस तरह से ऑनलाइन पढ़ाई हो रही है उसे समझने में बच्चों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।