Indore Breaking: इंदौर में 300 करोड़ रुपये की लागत से बनाए गए 11 किलोमीटर लंबे बीआरटीएस (बास रैपिड ट्रांजिट सिस्टम) को अब हटाने का फैसला लिया गया है। यह प्रोजेक्ट दस साल पहले शुरू हुआ था, जिसमें 30 से ज्यादा बसें चलती हैं और 12 स्टेशन बनाए गए थे। इस प्रोजेक्ट के लिए इंदौर को जवाहरलाल शहरी नवीनीकरण मिशन के तहत वित्तीय सहायता मिली थी। हालांकि, अब इस प्रोजेक्ट को हटाने का निर्णय लिया गया है और इसके पीछे जनप्रतिनिधियों की मांग बताई जा रही है।
जानें क्या बोले CM यादव ?
गुरुवार को इंदौर पहुंचे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि भोपाल के बाद अब इंदौर का बीआरटीएस भी हटाया जाएगा। उन्होंने बताया कि शहर के जनप्रतिनिधियों की मांग पर यह फैसला लिया गया है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सरकार इस मुद्दे पर कोर्ट में अपना पक्ष रखेगी। मुख्यमंत्री ने यह बयान विमानतल पर पत्रकारों से चर्चा करते हुए दिया, और इसके बाद वे एक निजी कॉलेज के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए रवाना हो गए।
बीआरटीएस की सफलता और विरोध
इंदौर में 11 किलोमीटर लंबा बीआरटीएस दस साल पहले 300 करोड़ रुपये की लागत से शुरू हुआ था। इसमें विशेष बस लेन बनाई गई थीं, जिनमें 30 से अधिक बसें चलती हैं। इसके साथ ही 12 स्टेशन भी स्थापित किए गए थे। इस प्रोजेक्ट के तहत इंदौर को जवाहरलाल शहरी नवीनीकरण मिशन से राशि मिली थी। हालांकि, इस योजना का कुछ लोगों ने विरोध किया था, खासकर बस के लिए विशेष लेन बनाने को लेकर, और मामला उच्च न्यायालय तक गया था। इसके बावजूद, इंदौर का बीआरटीएस अपने उद्देश्य में काफी हद तक सफल साबित हुआ।
BRTS के बॉटलनेक मुद्दे
इंदौर के बीआरटीएस के कुछ हिस्सों में समस्याएं आ रही थीं, खासकर 6 किलोमीटर के हिस्से में। एलआईजी से व्हाइट चर्च रोड तक सड़क की चौड़ाई कम है, जिससे वहां ट्रैफिक जाम की समस्या उत्पन्न हो रही है। बीआरटीएस के कारण इस क्षेत्र में जंक्शन पर ब्रिज निर्माण में भी परेशानी हो रही थी, जिससे यह हिस्सा एक “बॉटलनेक” (अवरोध) बन गया है।