इंदौर : 16 साल से हुकुमचंद मिल के मजदूरों द्वारा जो अपने हक की लड़ाई लड़ी जा रही थी उसका इंतजार आज खत्म हो चुका है अब 3 दिन बाद मजदूरों के खाते में बकाया राशि ट्रांसफर की जाएगी। बता दें कि हुकुमचंद मिल मामले में शुक्रवार को न्याय मूर्ति सुबोध अभ्यंकर की एकल पीठ ने फैसला सुनाते हुए तीन दिन में पैसा मजदूरों के खाते में जमा करने का आदेश दिया है।
गौरतलब है कि, 12 दिसंबर 1991 को मिल बंद होने के बाद से अपने हक के लिए मजदूर भटक रहे थे। तकरीबन 16 साल पहले हाईकोर्ट ने इस मामले को लेकर फैसला भी सुनाया था और मजदूरों के पक्ष में 229 करोड रुपए मुआवजा देना तय किया गया था, लेकिन इसके बाद से ही मजदूर अपने हक के पैसे को प्राप्त करने के लिए लड़ाई लड़ रहे थे।
इस मामले को लेकर बताया जाता है कि वर्षों तक जमीन के स्वामित्व को लेकर नगर निगम और शासन के बीच विवाद चल रहा था, जिसके कारण मजदूरों का पैसा अटक गया था, जिसकी उम्मीद एक बार फिर नगर निगम और मध्य प्रदेश गृह निर्माण मंडल के बीच हुए समझौते के बाद जाग गई है। देखा जाए तो मजदूरों का संघर्ष 32 साल से चल रहा है।
इस मामले में मजदूर यूनियन की और से वरिष्ठ अधिवक्ता गिरिश पटवर्धन और धीरजसिंह पंवार ने कोर्ट को बताया कि निर्वाचन आयेाग ने मजदूरों को भुगतान के लिए अनापत्ति पत्र जारी कर दिया है। इसके बाद हाई कोर्ट ने हाउसिंग बोर्ड को आदेश जारी करते हुए कहा कि तीन दिन के भीतर पूरी राशि श्रमिकों के खाते में जमा की जाए। यह जानकारी देते हुए हरनासिंह धारीवाल और नरेंद्र श्रीवंश ने बताया सरकार को ₹425 करोड़ रुपए जमा करने होंगे।