Indore : आईआईएम(IIM) इंदौर में फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम (एफडीपी) का 13वां बैच 11 अप्रैल, 2022 को प्रारंभ हुआ। पांच सप्ताह के इस पाठ्यक्रम का उद्घाटन आईआईएम इंदौर के निदेशक प्रो.हिमाँशु राय ने किया। प्रो. सौम्य रंजन दाश, डीन-प्रोग्राम्स; प्रो. सुबीन सुधीर, चेयर-एग्जीक्यूटिव एजुकेशन, और प्रो. संजीव त्रिपाठी, प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर-एफडीपी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
प्रो. हिमाँशु राय ने अपने अभिभाषण में अपने जीवन के अनुभव और एक शिक्षक के रूप में अपनी यात्रा के दौरान सफल होने में सहायक सीखों को साझा किया। प्रो. राय ने कॉर्पोरेट से शिक्षा जगत में अपनी शुरुआत करने के अपने व्यक्तिगत अनुभव को साझा करते हुए सुझाव दिया कि हमें सदैव अपने जूनून और पसंद के कार्य को ही प्राथमिकता देनी चाहिए। ‘जब मैंने टाटा स्टील की मेरी अद्भुत यात्रा कोविराम देकर एक शिक्षक बनने का फैसला किया, तो मैंने आसपास के लोगों से प्रतिरोध का भाव अनुभव किया।
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हालांकि, मेरा मानना हैकिहमेंहमेशाअपनेसपनों को पूरा करने की कोशिश करनी चाहिएऔरउन्हेंहासिलकरनेकेलिएकड़ी मेहनत करनी चाहिए – जो हमें खुशी और संतोष की भावना दे’, उन्होंने कहा। सही काम करने के महत्व को समझाते हुए उन्होंने कहा कि एक शिक्षक होने के नाते निष्ठा बेहद महत्वपूर्ण है। एक व्यक्ति के रूप में, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम वही करते हैं जो हम कहते हैं और हम वही कहते हैं जो हम स्वयं भी आत्मसात करते हैं। ‘आप जो कुछ भी सोचते हैं, बोलते हैं या करते हैं वह समरूप होना चाहिए।
यदि किसी कार्य को करते हुए आप शर्मिंदा या भयभीत महसूस करते हैं या निर्णय पर संदेह करते हैं, तो वह कार्य न करें। अपने दिल की सुनें और सुनिश्चित करें कि आप सही निर्णय लें’, उन्होंने सुझाव दिया। उन्होंने बैच में शामिल फैकल्टी और रिसर्च स्कॉलर्स को सलाह दी कि वे कुछ नया करते समय होने वाले प्रतिरोध को दूर करें। ‘दृढ़ता ही सफलता की कुंजी है। दूसरों के कहने पर अपने सपनों को मत त्यागो। अपने दिल की सुनो और निरंतर सीखते रहो और आगे बढ़ते रहो’, उन्होंने कहा।
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प्रो. सौम्य रंजन दाश और प्रो. सुबीन सुधीर ने नए बैच का स्वागत किया और उन्हें कक्षा के सत्रों में और अपने साथियों के साथ अनौपचारिक बातचीत से सीखने और ज्ञान बढाने की सलाह दी। उन्होंने कहा, ‘इस अवसर का अधिकतम उपयोग करें और अपने ज्ञान को बढ़ाएं। यह कार्यक्रम यह सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है कि प्रतिभागी नई शिक्षण अध्यापन और अनुसंधान तकनीकों को सीखें जिससे उन्हें अपने शिक्षण करियर में लाभ होगा’। प्रो. संजीव त्रिपाठी के धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। कार्यक्रम के लिए कुल 18 प्रतिभागियों ने रजिस्ट्रेशन कराया है।
Souce : PR