जल्द शुरू होगा काम, 178 करोड़ होंगे खर्च, इन जगहों से गुजरेगी रिंग रोड

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By Raj RathorePublished On: August 8, 2025

अलीगढ़ जिले के लिए एक बड़ी और बहुप्रतीक्षित परियोजना का रास्ता अब साफ होता हुआ नजर आ रहा है। भांकरी-बौनेर के बीच से होकर गुजरने वाली रिंग रोड का निर्माण कार्य अगस्त 2026 में शुरू हो जाएगा। इस परियोजना से शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को बड़ी राहत मिलेगी और आसपास के इलाकों का समग्र विकास भी तेजी से होगा।

एनएचएआई ने डीपीआर की जिम्मेदारी गुरुग्राम की एजेंसी को सौंपी

इस रिंग रोड के लिए डीपीआर यानी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी भी दी गई है। बता दें भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने अब गुरुग्राम की एक प्रतिष्ठित एजेंसी को सौंप दी है। इस प्रक्रिया में कुल पांच एजेंसियों ने डीपीआर तैयार करने के लिए आवेदन किया था, जिनमें से गुरुग्राम की एजेंसी को फाइनल किया गया है।

मार्च 2026 तक तैयार हो जाएगी डीपीआर

गुरुग्राम की चयनित एजेंसी को मार्च 2026 तक डीपीआर पूरी करने का लक्ष्य दिया गया है। रिपोर्ट तैयार होते ही इसे सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को भेज दिया जाएगा। उसके बाद मंत्रालय की मंजूरी और धनराशि आवंटन की प्रक्रिया पूरी होते ही निर्माण कार्य शुरू करने की प्रकिया की जाएगी। परियोजना पर कुल अनुमानित लागत 175 करोड़ रुपये से अधिक होने की संभावना है।

महायोजना-2031 में मिली थी रिंग रोड को मंजूरी

अलीगढ़ विकास प्राधिकरण (ADA) की महायोजना 2031 के अनुसार इस रिंग रोड को पहले ही मंजूरी मिल चुकी थी। योजना के तहत शहर के बाहरी इलाकों में यातायात को डायवर्ट कर ट्रैफिक दबाव को कम करने के उद्देश्य से बाईपास को रिंग रोड का रूप दिया गया है।

किन रास्तों से होकर गुजरेगी रिंग रोड?

प्रस्तावित रिंग रोड अलीगढ़-कानपुर जीटी रोड पर पनैठी से शुरू होगी और इसके बाद यह कई अन्य मार्गों से होते हुए गुजरेगी। इस मार्ग में ओजोन सिटी रोड, रामघाट रोड, पंचशील कॉलोनी रोड, अनूपशहर रोड, अलीगढ़-गाजियाबाद जीटी रोड और अंत में मथुरा बाईपास रोड शामिल हैं। इस तरह, यह रिंग रोड शहर के कई अनेक इलाकों को जोड़ते हुए एक परिपूर्ण परिक्रमा मार्ग बनाएगी।

परियोजना से क्या होंगे लाभ?

इस रिंग रोड परियोजना के पूरा होने से शहर के अंदर भारी वाहनों का प्रवेश कम होने के साथ बंद हो जाएगा। जिससे ट्रैफिक जाम और प्रदूषण की समस्या में काफी हद तक राहत मिलेगी। साथ ही, औद्योगिक और आवासीय विकास को भी गति मिलेगी, क्योंकि इससे आसपास के क्षेत्रों की कनेक्टिविटी बेहतर होगी और जमीनों की कीमतों में वृद्धि की संभावना भी बढ़ जाएगी।