Republic Day 2025 : गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को हर साल बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, जब भारत का संविधान लागू हुआ था और देश एक गणराज्य बना। हालांकि, क्या आपने कभी सोचा है कि यह ऐतिहासिक परेड सिर्फ दिल्ली में ही क्यों होती है? आइए जानते हैं इस परेड का इतिहास और उसका महत्व।
पहली गणतंत्र दिवस परेड शुरुआत कैसे हुई?
भारत में पहली गणतंत्र दिवस परेड 26 जनवरी 1950 को आयोजित की गई थी, और यह इरविन स्टेडियम (अब मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम) में हुई थी। उस समय भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना के जवानों ने अपनी शक्ति और प्रदर्शन से देशवासियों को चमत्कृत किया था।
कर्तव्य पथ पर परेड की शिफ्टिंग
1955 में, गणतंत्र दिवस परेड को दिल्ली के राजपथ (अब कर्तव्य पथ) पर स्थानांतरित कर दिया गया। तब से यह परेड हर साल कर्तव्य पथ पर आयोजित की जाती है, जहां सेना की टुकड़ियाँ कदम ताल करते हुए देशवासियों को अपनी ताकत, अनुशासन और एकता का प्रदर्शन करती हैं।
मुख्य अतिथि की परंपरा
गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि को आमंत्रित करने की परंपरा 1950 में शुरू हुई थी। उस साल इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो भारत के पहले गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि बने थे। तभी से यह परंपरा बन गई, और हर साल एक प्रमुख विदेशी नेता को गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाता है। इस बार इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियान्तो गणतंत्र दिवस परेड के मुख्य अतिथि होंगे।
परेड का उद्देश्य
गणतंत्र दिवस परेड का मुख्य उद्देश्य देशवासियों को भारतीय सैन्य बलों की ताकत और रक्षा तैयारियों से परिचित कराना है। इस दिन परेड में सैन्य उपकरणों और वाहनों का प्रदर्शन किया जाता है, जो भारतीय सेना की तैयारियों और ताकत को दर्शाते हैं।
इसके अलावा, परेड में राज्यों की झांकियां भी होती हैं, जो देश की सांस्कृतिक विविधता और विशिष्टता को प्रदर्शित करती हैं। यह परेड भारतीय संविधान और देश की सांस्कृतिक धरोहर का सम्मान करने का एक अहम अवसर है, और यह एकता और अखंडता का प्रतीक बनता है।