एमपी में फिर बदला मौसम का मिजाज, इन 11 जिलों में होगी मूसलाधार बारिश, मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट

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By Pinal PatidarPublished On: October 29, 2025

मध्यप्रदेश में एक बार फिर मौसम ने करवट ले ली है। अरब सागर में सक्रिय डिप्रेशन, उत्तर भारत के ऊपर बने साइक्लोनिक सर्कुलेशन और टर्फ लाइन के प्रभाव से राज्य के कई हिस्सों में बारिश और तेज हवाओं का दौर जारी है। मंगलवार को प्रदेश के सात जिलों में वर्षा दर्ज की गई, जबकि भोपाल और इंदौर जैसे बड़े शहरों में तेज हवाओं के साथ बादल छाए रहे। मौसम विज्ञान विभाग ने बुधवार को 11 जिलों श्योपुर, मुरैना, बुरहानपुर, बैतूल, छिंदवाड़ा, पांढुर्णा, सिवनी, मंडला, बालाघाट, डिंडौरी और अनूपपुर में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। इससे एक बार फिर ठंडक का अहसास बढ़ने लगा है और किसानों को भी फसलों के नुकसान की चिंता सताने लगी है।

डिप्रेशन और तूफान ‘मोंथा’ का असर बढ़ा


मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार, अरब सागर में बना डिप्रेशन फिलहाल एमपी के करीब पहुंच चुका है, जिससे नमी बढ़ी है और बारिश के लिए अनुकूल परिस्थितियां बन रही हैं। इस सिस्टम के साथ उत्तर भारत के ऊपर सक्रिय चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र भी मिलकर असर बढ़ा रहा है। वहीं, दक्षिण भारत के तटीय इलाकों में उठा तूफान ‘मोंथा’ भी इस डिप्रेशन को और अधिक ऊर्जा दे रहा है, जिसके कारण राज्य के कई हिस्सों में तेज हवाएं और बौछारें देखने को मिल रही हैं। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले 24 घंटों में यह सिस्टम और मजबूत होगा, जिससे बारिश की तीव्रता और बढ़ सकती है।

चार दिन और बरसेगा पानी, 30 अक्टूबर को रहेगा चरम प्रभाव

सीनियर मौसम वैज्ञानिक डॉ. दिव्या ई. सुरेंद्रन ने बताया कि आगामी चार दिनों तक प्रदेश में वर्षा की गतिविधियां बनी रहेंगी। मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि कुछ जिलों में भारी वर्षा के साथ गरज-चमक भी हो सकती है, जबकि अन्य स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश दर्ज की जाएगी। मंगलवार को बैतूल, धार, रतलाम, मुरैना, ग्वालियर, श्योपुर, शिवपुरी, रीवा और उमरिया जिलों में वर्षा हुई। राजधानी भोपाल में भी तेज हवाएं चलीं, जिससे कई इलाकों में पेड़ गिरने और फसलों के झुकने की खबरें आईं। 29 से 31 अक्टूबर के बीच बारिश का दौर जारी रहेगा और 30 अक्टूबर को इसका प्रभाव सबसे अधिक रहने की संभावना है।

मानसून विदा, लेकिन बादल नहीं हुए रवाना

राज्य से मानसून की आधिकारिक विदाई 13 अक्टूबर को हो चुकी है, लेकिन मौसम की स्थिति बताती है कि बारिश अब भी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से लगातार नमी मिल रही है, जिससे स्थानीय स्तर पर वर्षा होती जा रही है। यह स्थिति किसानों के लिए एक ओर राहत की खबर है क्योंकि मिट्टी में नमी बनी रहेगी, लेकिन दूसरी ओर तैयार फसलों को नुकसान का खतरा भी बढ़ा है।

सर्दियों में पड़ेगी जोरदार ठंड, फरवरी तक रहेगा असर

मौसम विभाग ने अनुमान जताया है कि इस बार नवंबर से जनवरी तक प्रदेश में कड़ाके की ठंड पड़ेगी। तापमान सामान्य से नीचे गिरने की संभावना है और फरवरी तक सर्दी का प्रभाव बना रहेगा। वैज्ञानिकों के अनुसार, 2010 के बाद यह सबसे ठंडी सर्दी हो सकती है। इस दौरान पश्चिमी विक्षोभ अधिक सक्रिय रहेंगे, जिससे बारिश भी सामान्य से अधिक हो सकती है। विभाग ने यह भी पुष्टि की है कि इस साल ला-नीना की स्थिति विकसित हो रही है, जिसके कारण उत्तरी भारत में ठंड और वर्षा दोनों का असर अधिक गहराई से महसूस किया जाएगा।