इंदौर में मुसलमानों को नौकरी पर रखने को लेकर चल रहे विवाद के बीच शनिवार को वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह शीतलामाता बाजार पहुंचे। उनकी मौजूदगी में जोरदार हंगामा हुआ और सुरक्षा कारणों से माहौल तनावपूर्ण हो गया। दिग्विजय सिंह ने तत्काल थाना पहुंचकर घटना में शामिल लोगों पर कार्रवाई की मांग की और कहा कि अनुशासनहीनता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
शहर कांग्रेस में शुरू हुआ विरोध
दिग्विजय सिंह के इस प्रदर्शन को लेकर इंदौर कांग्रेस के भीतर विरोध की लहर उठी। शहर कांग्रेस ने उनका मुस्लिम व्यापारियों से मिलना उचित नहीं माना। रविवार को हुई जिला स्तरीय समन्वय बैठक में कांग्रेस नगर अध्यक्ष चिंटू चौकसे ने कहा कि बाहर से नेता आते हैं और बिना किसी सूचना के अपने स्तर पर आयोजन रख लेते हैं, जो कि स्वीकार्य नहीं है।
शहर नेताओं की शर्तें: पहले से तय हो आयोजन
चिंटू चौकसे ने स्पष्ट किया कि किसी भी नेता को इंदौर में किसी मुद्दे पर स्टैंड लेने या कार्यक्रम आयोजित करने से पहले शहर और जिला अध्यक्ष तथा संबंधित विधानसभा प्रभारी से चर्चा करनी होगी। उन्होंने कहा, “कोई भी आयोजन बिना शहर अध्यक्ष की मंजूरी के नहीं हो सकता। आगे से इसे कोई अनुमति नहीं दी जाएगी।” बैठक के दौरान दिग्विजय सिंह के समर्थक नेता चुप्पी साधे रहे और किसी ने उनका पक्ष नहीं रखा।
अरुण यादव का इशारों-इशारों में संदेश
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में बिना नाम लिए इशारों के जरिए संदेश दिया। उन्होंने लिखा कि केवल भाषण और बयान से संघर्ष संभव नहीं है, बल्कि पार्टी और विचारधारा को एकजुट होकर मजबूत करना होगा। उन्होंने राहुल गांधी के संघर्ष के उदाहरण को मध्यप्रदेश में अपनाने की आवश्यकता जताई और सभी नेताओं से समन्वय की अपील की।
दिग्विजय सिंह की फटकार
सूत्रों के अनुसार, शुक्रवार रात को दिग्विजय सिंह ने शहर अध्यक्ष चिंटू चौकसे के करीबी राजू भदौरिया को जमकर फटकार लगाई और मुलाकात से इनकार करते हुए भगा दिया। भदौरिया के खिलाफ दिग्विजय सिंह की नाराजगी का कारण कनकेश्वरी गरबा में मुस्लिम काउंटर को हटाने का उनका समर्थन बताया गया। शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिग्विजय ने इसे कांग्रेस की विचारधारा के खिलाफ अनुशासनहीनता करार दिया।
नेताओं की चेतावनी: दिग्विजय को नहीं पड़ना चाहिए विवाद में
इंदौर के कई वरिष्ठ नेताओं ने दिग्विजय सिंह को इस मसले में शामिल होने से पहले मना किया था। यहां तक कि उनके करीबी रघु परमार ने भी उन्हें चेताया कि वहां जाना ठीक नहीं होगा। लेकिन दिग्गी भड़क गए और नेताओं से कहा कि “क्या आप लोग तय करेंगे कि मुझे क्या करना है, क्या नहीं? अगर सड़क पर उतरकर हिम्मत से आंदोलन नहीं कर सकते, तो राजनीति क्यों कर रहे हो।”