प्रदेश सरकार ने किरायेदारी प्रणाली को अधिक सरल, पारदर्शी और विवाद-मुक्त बनाने की दिशा में बड़ा निर्णय लिया है। शुक्रवार को आयोजित कैबिनेट बैठक में 10 वर्ष तक की अवधि वाले किरायानामा विलेखों पर स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्री शुल्क में व्यापक छूट मंजूर की गई। यह कदम आने वाले समय में रेंट सेक्टर में पारदर्शिता बढ़ाने, मालिक–किरायेदार संबंधों को मजबूत करने और वर्षों से चली आ रही अनौपचारिक किरायेदारी की समस्या को दूर करने में अहम साबित होगा।
ये हैं मुख्य बातें
- किरायानामा विलेखों पर 10 साल तक स्टाम्प ड्यूटी–रजिस्ट्री में बड़ी छूट
- रेंट सेक्टर में पारदर्शिता और सुरक्षा बढ़ाने की दिशा में अहम कदम
- मालिक–किरायेदार संबंधों में सुधार और विवाद घटाने की तैयारी
- अनौपचारिक किरायेदारी की पुरानी समस्या खत्म करने का प्रयास
उच्च शुल्क और जागरूकता की कमी बनी बड़ी बाधा
खन्ना ने बताया कि वर्तमान नियमों के तहत एक वर्ष से अधिक अवधि के किरायानामा की रजिस्ट्री अनिवार्य है, लेकिन जागरूकता की कमी और अधिक शुल्क के कारण लोग इसे कराने से कतराते रहे। कई मामलों में बिजली विभाग या GST विभाग की जांच के दौरान यह सामने आया कि किरायेदारी बिना रजिस्ट्री के चल रही है, जिसके बाद भारी स्टाम्प शुल्क वसूलना पड़ता है और परेशानी बढ़ जाती है। सरकार का मानना है कि जब तक शुल्क अधिक रहेगा, लोग औपचारिक किरायेदारी से दूर ही रहेंगे, इसलिए शुल्क को ‘सरल और सीमित’ करना आवश्यक था।










