उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (रोडवेज) में हाल ही में हुई संविदा भर्तियों ने एक दिलचस्प बदलाव की तस्वीर पेश की है। जहां बस संचालन में पुरुष पीछे हटते दिख रहे हैं, वहीं महिलाएं उत्साहपूर्वक आगे बढ़ रही हैं। यह परिवर्तन न केवल सामाजिक दृष्टिकोण में बदलाव का संकेत देता है, बल्कि प्रदेश में महिला रोजगार के नए अवसरों को भी दर्शाता है। इस वर्ष रोडवेज में हुई दो प्रमुख संविदा भर्तियों में कुल 194 पदों में से 95 पद महिलाओं ने भरे, यानी अब 49 प्रतिशत परिचालक महिलाएं बसों में टिकटिंग और संचालन की जिम्मेदारी निभाएंगी।
इसके विपरीत, पुरुषों में चालक पदों के लिए रुचि कम देखने को मिली। दो चरणों की भर्ती में कुल 324 पदों के लिए केवल 111 पुरुष ही चालक बनने के लिए सामने आए, जो कि मात्र 34 प्रतिशत है। यह आंकड़ा स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि रोडवेज की नई रीढ़ महिलाएं बन रही हैं, जबकि पुरुष अधिकतर निजी क्षेत्र की ओर रुख कर रहे हैं।
क्यों कम आ रही पुरुष चालक के पद
- पुरुषों के लिए चालकों की भर्ती दो चरणों में सम्पन्न हुई:
- पहला चरण: 204 पदों में 75 चयनित
- दूसरा चरण: 120 पदों में 36 चयनित
- कुल 324 पदों में से केवल 111 पुरुष चालक बने। इस अपेक्षाकृत कम संख्या ने विभाग को भी गंभीरता से सोचने पर मजबूर कर दिया है।
- राज्य सरकार की सुरक्षा और सम्मान नीति से महिलाएं आ रहीं आगे
महिला कर्मियों के लिए
- जैसी सहूलियतें मिलने से भरोसा बढ़ा है।
- सुरक्षित ड्यूटी
- व्यवस्थित रूट
- महिला मित्र मंडल
- हेल्पलाइन
सामाजिक बदलाव और परिवार का साथ
अब परिवार भी अपनी बेटियों को बस परिचालक के रूप में बाहर काम करने भेजने में हिचक महसूस नहीं करते। यह परिवर्तन समाज में बढ़ती जागरूकता का संकेत है।
संपन्न सुविधाओं और मजबूत वेतन पैकेज के कारण संविदा में भी यह पेशा आकर्षक बन गया है। रोडवेज में संविदा चालकों और परिचालकों को 2.06 रुपये प्रति किलोमीटर के हिसाब से भुगतान किया जाता है, जिससे औसतन उनकी मासिक आय लगभग 18,000 रुपये होती है।









