रामनवमी से हर दिन किया जाएगा रामलला का सूर्य तिलक, अगले 20 वर्षों तक प्रतिदिन होगी ये विशेष प्रक्रिया

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By Srashti BisenPublished On: March 26, 2025
Surya Tilak of Ramlalla

Surya Tilak of Ramlalla : रामनवमी के पावन अवसर पर 6 अप्रैल 2025 को अयोध्या में एक अद्भुत और ऐतिहासिक घटना होने जा रही है। इस दिन से रामलला का सूर्य तिलक हर रोज़ किया जाएगा, जिससे मंदिर के निर्माण और भगवान राम के प्रति श्रद्धा का एक नया आयाम स्थापित होगा। मंदिर निर्माण समिति ने इस फैसले को लेकर विशेष योजना बनाई है, और इसे अगले 20 सालों तक जारी रखने का निर्णय लिया गया है। इस पहल का उद्देश्य न केवल धार्मिक महत्व को बढ़ाना है, बल्कि मंदिर के आंतरिक सौंदर्य और उसके वातावरण को भी दिव्य रूप से प्रकट करना है।

रामलला का यह सूर्य तिलक एक विज्ञान और धार्मिकता का अद्भुत संगम है। IIT रुड़की और सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट ने मिलकर इस तंत्र को डिजाइन किया है। हर दिन दोपहर 12:00 बजे, सूर्य की किरणें मंदिर के ऊपरी तल पर स्थित दर्पणों से होकर एक विशेष पाइप के जरिए रामलला के मस्तक पर पहुंचेंगी। यह प्रक्रिया लगभग 4 मिनट तक चलेगी, जब सूर्य की किरणें रामलला के सिर पर पड़ेंगी और उन्हें दिव्य आभा से रोशन करेंगी।

20 वर्षों तक प्रतिदिन होगा सूर्य तिलक (Surya Tilak of Ramlalla)

यह विशेष प्रक्रिया अगले 20 वर्षों तक हर दिन होने वाली है, जिसमें भगवान राम को सूर्य देवता की किरणों से तिलक किया जाएगा। मंदिर के निर्माण में भी तेजी से प्रगति हो रही है। राम मंदिर का शिखर जल्द ही पूरा हो जाएगा, और इसके साथ ही, 15 मई तक राम दरबार की स्थापना भी हो जाएगी, जो मंदिर के पहले तल पर स्थित होगा।

कैसे काम करेगा सूर्य तिलक का तंत्र?

रामलला के सूर्य तिलक का यह विशेष तरीका आईआईटी रुड़की द्वारा तैयार किया गया है। सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट ने एक अद्वितीय ऑटो मैकेनिक सिस्टम के तहत इसका निर्माण किया है। जब सूर्य की किरणें मंदिर की सबसे ऊपरी मंजिल पर लगे दर्पण पर पड़ती हैं, तो यह किरणें 90 डिग्री तक मोड़ी जाती हैं और एक पीतल के पाइप में प्रवेश करती हैं। इस पाइप के अंत में एक और दर्पण रखा जाता है, जो किरणों को फिर से मोड़ता है और नीचे की ओर भेजता है।

इसके बाद तीन लेंसों की एक श्रृंखला के माध्यम से सूर्य की किरणों की तीव्रता को बढ़ाया जाता है। इन किरणों का मार्ग तय करने के लिए विशेष रूप से तैयार किए गए दर्पण और लेंस इस प्रक्रिया को सुनिश्चित करते हैं कि सूर्य की किरणें सीधे रामलला के मस्तक पर पहुंचे।

सूर्य तिलक का क्या हैं महत्व?

हिंदू धर्म में सूर्य की पूजा विशेष रूप से दोपहर 12:00 बजे की जाती है, जब सूर्य अपने पूर्ण प्रभाव में होते हैं। यह समय सूर्य देवता की शक्ति और प्रभाव को महसूस करने के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। भारतीय दर्शन में सूर्य का पूजन सेहत और तेजस्विता के लिए किया जाता है।