मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार शाम गोरखनाथ मंदिर में युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ की 56वीं और राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की 11वीं पुण्यतिथि समारोह के अवसर पर आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण कथा ज्ञानयज्ञ के विराम सत्र में अपने विचार साझा किए।
सीएम योगी एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हर परिस्थिति में सनातन धर्म के प्रति समर्पण बनाए रखना ही श्रीमद्भागवत महापुराण कथा का असली संदेश है। यह कथा जीवन को ज्ञान से रोशन करने, भक्ति से जोड़ने और मुक्ति का मार्ग दिखाने वाली अद्भुत दैवी कथा है।
मंदिर के दिग्विजयनाथ स्मृति भवन सभागार में कथा श्रवण और व्यासपीठ के समक्ष श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा की पहली वार्ता लगभग पांच हजार वर्ष पूर्व स्वामी शुकदेव जी ने महाराजा परीक्षित को मृत्यु के भय से मुक्ति दिलाने के लिए सुनाई थी। तब से यह कथा अनगिनत सनातन धर्मावलंबियों के उद्धार का साधन बनी हुई है।
भारत में मानव जन्म की विशेषता और दुर्लभता
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय ऋषि परंपरा यह बताती है कि भारत में जन्म लेना अत्यंत दुर्लभ है, और उसमें भी मानव रूप में जन्म लेना और भी विशेष है। सनातन भारत ने ही ज्ञान, भक्ति और मुक्ति प्रदान करने वाली, जीवन के रहस्यों का उद्घाटन करने वाली श्रीमद्भागवत कथा का अनमोल उपहार दिया है।
धर्म और देश के प्रति अडिग रहना है कथा का मूल संदेश
उन्होंने कहा कि कथा का असली संदेश यह है कि हमें हर परिस्थिति में अपने धर्म और देश के प्रति स्थिर रहना चाहिए। किसी भी स्थिति में झुकने या डगमगाने के बजाय सनातन परंपरा और भारत के प्रति समर्पण बनाए रखना आवश्यक है।
उपस्थित हुए जगद्गुरु रामानंदाचार्य
व्यासपीठ पर विराजमान कथा व्यास और परिधान पीठ गोपाल मंदिर श्रीअयोध्याधाम से पधारे जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य जी महाराज की मुक्त कंठ से सराहना करते हुए मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि स्वामी रामदिनेशाचार्य जी ने अत्यंत सरल और सहज अंदाज में श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण कराकर उपस्थितों को भावविभोर किया।