पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मध्य प्रदेश सरकार की लाड़ली बहना योजना के तहत हर माह दी जाने वाली 1250 रुपए की राशि को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। शनिवार को उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा कि इतनी कम रकम से महिलाएँ न तो अपने परिवार का इलाज निजी अस्पतालों में करा सकती हैं, न बच्चों को अच्छे स्कूलों में पढ़ा सकती हैं और न ही बिजली का बिल चुका सकती हैं। दिग्विजय ने कटाक्ष करते हुए पूछा— “क्या यह पैसा इनके मामा के घर से आता है?” उन्होंने आगे कहा कि 1250 रुपए देकर जो शोर मचाया जा रहा है, वह कई महत्वपूर्ण सवाल खड़े करता है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 1.26 करोड़ लाडली बहनों के खातों में यह राशि भेजी थी।
दिग्विजय ने उठाए लाड़ली बहना योजना पर सवाल
- क्या यह पैसा इनके मामा के घर से आ रहा है ?
- क्या आज के महंगे शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और पौष्टिक आहार के दौर में 1250 रुपए प्रति माह केवल नाक में दम करने के बराबर नहीं हैं?
- क्या भागवत साहब ने लाड़ली बहनों से तीन संतानें जन्म देने का अनुरोध नहीं किया है?
- क्या इतनी कम राशि में लाड़ली बहनें तीन बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ा कर उच्च शिक्षा दिला सकती हैं?
- क्या 1250 रुपए महीने में लाडली बहनें सरकारी अस्पतालों की कमी में महंगे प्राइवेट अस्पतालों में इलाज करवा सकती हैं?
- क्या 1250 रुपए महीने में लाडली बहनें अपने तीन बच्चों को पर्याप्त दूध और पौष्टिक आहार देकर कुपोषण से बचा सकती हैं?
- क्या 1250 रुपए प्रति माह में बिजली का खर्च पूरा किया जा सकता है?
- क्या 1250 रुपए में लाडली बहनें अपने परिवार के त्यौहार और बच्चों के जन्मदिन का जश्न मना सकती हैं?
- पंडित नेहरू और इंदिरा गांधी की तरह लाडली बहनों के वयस्क बच्चों, भाइयों, पतियों और पिता को सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों में अच्छी तनख्वाह और सुरक्षित भविष्य वाली नौकरियाँ देकर आत्मनिर्भर बनाना चाहिए।
अच्छे वेतन और स्थायी रोजगार की जरूरत
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सवाल उठाया कि जब महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की बात होती है, तो सरकार उन्हें केवल वित्तीय सहायता तक क्यों सीमित रख रही है, बजाय इसके कि उन्हें स्थायी रोजगार और बेहतर वेतन प्रदान किया जाए। उन्होंने संघ प्रमुख मोहन भागवत के उस बयान का भी उल्लेख किया, जिसमें तीन संतानों को जन्म देने की बात कही गई थी, और पूछा कि सरकार इसे क्यों अनदेखा कर रही है। अपने ट्वीट के अंत में दिग्विजय ने हैशटैग से पहले “सुशील सिंह, अंजना सिंह जबलपुर” भी लिखा, जिससे राजनीतिक गलियारों में विभिन्न तरह की अटकलें शुरू हो गई हैं।