मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को गोरखपुर में 72.78 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित क्षेत्रीय विधि विज्ञान प्रयोगशाला का उद्घाटन किया। उन्होंने बताया कि देश में तीन नए कानून लागू किए गए हैं, जो मुख्य रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बनाए गए थे और जिनका उद्देश्य हर पीड़ित को समय पर न्याय सुनिश्चित करना है।
यानी ब्रिटिश काल की दंडात्मक प्रणाली से अलग, इस नई अवधारणा का उद्देश्य प्रत्येक व्यक्ति को न्याय और समय पर न्याय सुनिश्चित करना है। इसी दृष्टिकोण के तहत भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 को पिछले वर्ष जुलाई में लागू किया गया था।
साक्ष्य की कमी से पहले बचते थे अपराधी
लागू होने के बाद यह अनिवार्य कर दिया गया कि सात वर्ष से अधिक सजा वाले सभी अपराधों में फॉरेंसिक साक्ष्य एकत्रित किए जाएँ। इसके लिए प्रदेश में पहले ही आवश्यक तैयारियाँ कर ली गई थीं। पहले अक्सर अपराध होने के बाद साक्ष्यों की कमी के कारण अपराधियों को सजा नहीं मिल पाती थी, लेकिन लैब्स की स्थापना से अब कोई भी अपराधी बच नहीं पाएगा।
2017 में थे केवल 4 फॉरेंसिक लैब
2017 में प्रदेश में केवल 4 फॉरेंसिक लैब थीं। उसी वर्ष निर्देश जारी किए गए और कमिश्नरी स्तर पर प्रत्येक क्षेत्र में लैब स्थापित करने का प्रयास शुरू किया गया। पिछले आठ वर्षों में लैब की संख्या 4 से बढ़कर 12 हो गई है। प्रदेश की 18 कमिश्नरी में लैब बनाई जा चुकी हैं, जबकि छह कमिश्नरी में निर्माण कार्य जारी है।










