विधानसभा चुनाव के लिए BJP का तगड़ा ट्रम्प कार्ड, पीडीए के खिलाफ यूपी में हिंदुत्व बनेगी ताकत

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By Abhishek SinghPublished On: August 22, 2025

हिंदू गौरव दिवस के मौके पर 21 अगस्त को भाजपा ने 2027 के लिए पीडीए की चुनौती को टक्कर देने हेतु मजबूत हिंदुत्व कार्ड खेला। पार्टी ने कल्याण सिंह को याद करते हुए प्रदेश में अगड़ा, पिछड़ा और अनुसूचित वर्ग को जोड़ते हुए हिंदुत्व की त्रिवेणी चलाने का एलान किया। मंच से यह भी स्पष्ट किया गया कि उनके लक्ष्यों को साकार करने के लिए परिवार डेवलपमेंट अथॉरिटी को सैफई भेजने का संकल्प लेना आवश्यक होगा।


प्रदेश की सियासत में कल्याण सिंह की ताकत और ओबीसी वर्ग में उनकी गहरी पकड़ से भलीभांति परिचित भाजपा ने 21 अगस्त को एक जबरदस्त ट्रंप कार्ड खेला। लोकसभा चुनाव में पश्चिमी यूपी सहित प्रदेश के परिणामों से प्रभावित भाजपा लगातार सपा और पीडीए पर हमलावर रही। हाल ही में प्रयागराज की सपा विधायक पूजा पाल को पार्टी से हटाए जाने के बाद भी भाजपा ने पीडीए पर जोरदार हमला जारी रखा। उसी तरह का हमला हिंदू गौरव दिवस के मंच से किया गया, जो कल्याण सिंह की पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित था। पश्चिमी यूपी के लगभग 50 जिलों से कल्याण सिंह समर्थक मौजूद थे, जिनमें लोधी और अन्य पिछड़ा वर्ग के लोग भी बड़ी संख्या में थे। इस अवसर का फायदा उठाते हुए भाजपा ने पीडीए की चुनौती के जवाब में अगड़ा, पिछड़ा और अनुसूचित वर्ग को जोड़ते हुए हिंदुत्व का यह ट्रंप कार्ड खेला।

योगी-प्रधान ने पेश किए साक्ष्य और उदाहरण

योगी आदित्यनाथ ने तालानगरी की स्थापना से लेकर प्रदेश के विकास, अपराध और भ्रष्टाचार पर नियंत्रण जैसे उदाहरण पेश करते हुए कहा कि ये सभी उनकी बताई गई दिशा के अनुसार हो रहा है। वहीं, धर्मेंद्र प्रधान ने उदाहरण देते हुए बताया कि आदिवासी महिला का राष्ट्रपति और ओबीसी वर्ग के व्यक्ति का उपराष्ट्रपति बनना भाजपा शासनकाल में संभव हुआ है, जो कल्याण सिंह द्वारा सुझाए गए मार्ग के अनुसार हो रहा है। इन्हें राष्ट्रवाद की सुरक्षा और संरक्षण के उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया गया।

हिंदुत्व त्रिवेणी से 50 फीसदी वोट लक्ष्य

मंच से कई नेताओं ने प्रदेश के ओबीसी वर्ग के वोटरों का जिक्र करते हुए कहा कि बाबूजी केवल किसी एक जाति या वर्ग के नेता नहीं थे। 50 फीसदी ओबीसी वर्ग में कुछ वर्गों को छोड़कर कुर्मी, कहार, निषाद, कश्यप, जाट, मल्लाह, केवट आदि समुदाय बाबूजी से गहरे जुड़े थे। बाबूजी भी गरीब, किसान और झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले इन वर्गों के लोगों के साथ निकट संबंध रखते थे।