देश की पहली ‘डिजिटल एड्रेस सिटी’ बनने की दिशा में इंदौर ने एक और बड़ा कदम बढ़ा दिया है। नगर निगम की टीम ने महापौर पुष्यमित्र भार्गव के नवाचार पर आधारित इस महत्वाकांक्षी योजना को ज़मीन पर उतारना शुरू कर दिया है। शुरुआत शहर के वार्ड 82 (सुदामा नगर) से की गई थी, जिसे एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चुना गया था। अब यह वार्ड लगभग पूरी तरह डिजिटल एड्रेस सिस्टम से लैस हो चुका है। अगले चरण में नवंबर के पहले सप्ताह से वार्ड 71, 79 और 83 में भी यह योजना लागू की जाएगी। इस प्रोजेक्ट के पूर्ण क्रियान्वयन के बाद इंदौर देश का पहला डिजिटल एड्रेस वाला शहर बन जाएगा।
हर घर को मिलेगा यूनिक डिजिटल पता
इस प्रोजेक्ट के तहत शहर के हर घर और संस्थान को एक यूनिक डिजिटल एड्रेस प्लेट दी जाएगी। इस प्लेट पर एक क्यूआर कोड (QR Code) लगा होगा, जिसे स्कैन करते ही उस संपत्ति से जुड़ी पूरी जानकारी सामने आ जाएगी। इस जानकारी में घर का पता, स्वामित्व विवरण, वेरिफिकेशन स्थिति और अन्य प्रशासनिक डिटेल शामिल होंगी। सबसे खास बात यह है कि यह सारी जानकारी पूरी तरह सुरक्षित रहेगी और केवल अधिकृत विभाग ही इसका उपयोग कर सकेंगे। इसके साथ ही, यह पूरा प्रोजेक्ट सीएसआर (CSR) फंड से संचालित किया जा रहा है, यानी नागरिकों पर किसी भी तरह का आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा। इससे प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता और सुविधा दोनों बढ़ेंगी जैसे टैक्स वेरिफिकेशन, आपात सेवाएं और संपत्ति पहचान में बड़ी आसानी होगी।
सुदामा नगर (वार्ड 82) में बड़ी प्रगति
नगर निगम के आंकड़ों के मुताबिक, वार्ड 82 में कुल 7,185 संपत्तियों की पहचान की गई है। इनमें से 3,924 प्रॉपर्टी को यूनिक डिजिटल एड्रेस आइडी जारी की जा चुकी है।
यहां दर्ज संपत्तियों का विभाजन कुछ इस तरह है —
• 5,582 रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी
• 348 कमर्शियल प्रॉपर्टी
• 255 मिक्स प्रॉपर्टी
• 212 खुले प्लॉट
• 13 शैक्षणिक संस्थान
• 6 अस्पताल
• 8 धार्मिक भवन
• 45 बिना वेरिफिकेशन प्रॉपर्टी
इसके अलावा, अब तक 250 नई प्रॉपर्टी जोड़ी गईं और 466 डुप्लीकेट रिकॉर्ड्स की पहचान कर सुधार किया गया है। बाकी 2,545 प्रॉपर्टी की यूनिक आईडी निर्माणाधीन है, जिन्हें जल्द ही डिजिटल एड्रेस प्लेट मिलेगी।
इंदौर बनेगा डिजिटल प्रबंधन में रोल मॉडल
महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि “इंदौर ने सफाई और स्वच्छता के क्षेत्र में जिस तरह देश को नई दिशा दी, अब उसी तरह डिजिटल एड्रेस सिस्टम के माध्यम से डिजिटल मैनेजमेंट में भी देश के लिए रोल मॉडल बनेगा।” उन्होंने बताया कि यह पहल सिर्फ एक तकनीकी नवाचार नहीं है, बल्कि शहर प्रशासन को और स्मार्ट, पारदर्शी और नागरिकों के लिए सुगम बनाने की दिशा में बड़ा कदम है। डिजिटल एड्रेस सिस्टम लागू होने के बाद नगर निगम, पुलिस, फायर ब्रिगेड और इमरजेंसी सर्विसेज के लिए घर या प्रतिष्ठान तक पहुंचना बेहद आसान होगा। साथ ही, शहरी योजनाओं, टैक्स वसूली और आपदा प्रबंधन में भी इस डेटा का उपयोग किया जाएगा।
इंदौर की नई पहचान
जैसे सफाई में इंदौर ने लगातार देश में पहला स्थान हासिल किया है, वैसे ही अब यह शहर डिजिटल गवर्नेंस की दिशा में भी अग्रणी बनने जा रहा है। डिजिटल एड्रेस सिटी बनने के बाद इंदौर न केवल मध्यप्रदेश बल्कि पूरे देश के लिए स्मार्ट सिटी प्रबंधन का उदाहरण प्रस्तुत करेगा। यह प्रोजेक्ट इस बात का प्रमाण है कि जब तकनीक और सुशासन का संगम होता है, तो शहर सिर्फ रहने की जगह नहीं, बल्कि स्मार्ट और जीवंत व्यवस्था का प्रतीक बन जाता है।










