अगले 24 घंटों में इन 12 जिलों में होगी मूसलाधार बारिश, मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट

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By Raj RathorePublished On: September 17, 2025

राजस्थान, गुजरात और पंजाब के कुछ इलाकों से मानसून ने विदाई लेना शुरू कर दिया है। हालांकि, मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में मानसून की विदाई अभी बाकी है, और मौसम विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस बार भी शहर से मानसून अक्टूबर के पहले सप्ताह में विदा होगा। बीते 10 वर्षों के आंकड़ों पर नजर डालें तो भोपाल में हर बार मानसून की विदाई अक्टूबर महीने में ही दर्ज की गई है। इसलिए इस बार भी यही सिलसिला जारी रहने की संभावना है।


अगले 24 घंटे में तेज बारिश का अलर्ट

मौसम विभाग के अनुसार, निमाड़ क्षेत्र यानी इंदौर संभाग के खरगोन और बड़वानी जिलों में अगले 24 घंटे के अंदर भारी बारिश की संभावना जताई गई है। वहीं, इंदौर और भोपाल में बादलों की आवाजाही और हल्की बूंदाबांदी होने की उम्मीद है। प्रदेश के कई अन्य हिस्सों में कहीं-कहीं हल्की बरसात तो कहीं तेज धूप देखने को मिलेगी। इसका मतलब यह है कि बारिश का सिलसिला अभी पूरी तरह थमा नहीं है और प्रदेश के अलग-अलग जिलों में मौसम का मिजाज बदलता रहेगा।

बारिश की गतिविधियों में आई कमी

मानसून सीजन को आधिकारिक तौर पर 1 जून से 30 सितंबर तक माना जाता है। बीते कुछ दिनों से राजधानी भोपाल में बरसात की गतिविधियां कम हो गई हैं। मंगलवार को धूप तेज निकलने से तापमान में उल्लेखनीय बदलाव दर्ज किया गया। दिन का अधिकतम तापमान 33.5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जो सामान्य से 2.5 डिग्री ज्यादा था। वहीं, न्यूनतम तापमान 23 डिग्री रहा, जो पिछले दिनों की तुलना में 1.6 डिग्री कम दर्ज हुआ।

सीजनल बारिश का आंकड़ा

अब तक के मानसून सीजन में भोपाल में 986.9 मिलीमीटर बारिश दर्ज हुई है। यह औसत आंकड़े से 36.7 मिलीमीटर कम है। मौसम विभाग के अनुसार, इस साल का पूरा सीजनल कोटा 1075.2 मिमी का है, यानी सितंबर के अंत तक थोड़ी और बारिश होने की उम्मीद बनी हुई है।

विशेषज्ञों की राय – उतार-चढ़ाव रहेगा मौसम

मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि अभी मध्य प्रदेश का मौसम अस्थिर रहेगा। एक ओर आंशिक बादल और गरज-चमक के साथ हल्की वर्षा की स्थिति बनेगी, तो दूसरी ओर तेज धूप और उमस भी परेशान कर सकती है। इस समय वायुमंडल में आर्द्रता अधिक है, जिसकी वजह से उमस का असर लगातार महसूस होगा। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि 30 सितंबर को बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र बनने की संभावना है, जो आगे चलकर बारिश की गतिविधियों को प्रभावित कर सकता है।