भोपाल सहित मध्यप्रदेश के कई शहरों में लगाए गए स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं के लिए परेशानी का सबब बनते जा रहे हैं। लोगों का कहना है कि स्मार्ट मीटर लगने के बाद बिजली बिलों में अचानक बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। इस वजह से उपभोक्ताओं का गुस्सा लगातार बढ़ता जा रहा है और ऊर्जा विभाग को घेरने की कोशिशें भी तेज हो रही हैं। केवल भोपाल सिटी सर्कल में ही अब तक 2 लाख से ज्यादा स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं, जिन पर सबसे ज्यादा शिकायतें दर्ज हो रही हैं।
उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए नया आदेश
उपभोक्ताओं की नाराजगी को शांत करने और पारदर्शिता लाने के लिए ऊर्जा विभाग ने हाल ही में एक नया आदेश जारी किया है। इस आदेश के तहत अब हर सर्कल में कम से कम 10 चेक मीटर उपलब्ध कराए जाएंगे। इन चेक मीटरों की मदद से उपभोक्ताओं की शिकायतों की जांच की जाएगी और यदि बिलिंग या स्मार्ट मीटर में कोई गड़बड़ी सामने आती है तो उसका निराकरण किया जाएगा।
कैसे होगी चेक मीटर की प्रक्रिया
अगर किसी उपभोक्ता को स्मार्ट मीटर से संबंधित कोई भी समस्या आती है, तो वे सीधे बिजली कंपनी में शिकायत दर्ज करा सकते हैं। शिकायत के बाद उनके घर पर एक चेक मीटर लगाया जाएगा, जो स्मार्ट मीटर के साथ ही 24 घंटे तक समानांतर रूप से काम करेगा। इस अवधि में दोनों मीटरों की रीडिंग और बिलिंग का मिलान किया जाएगा ताकि यह स्पष्ट हो सके कि स्मार्ट मीटर सही काम कर रहा है या उसमें कोई गड़बड़ी है।
जांच पूरी होने पर बनेगा पंचनामा
मीटर चेकिंग की प्रक्रिया पूरी होने के बाद बिजली विभाग उपभोक्ता की मौजूदगी में एक पंचनामा तैयार करेगा। इसमें यह विस्तार से लिखा जाएगा कि मीटर सही है या उसमें कोई तकनीकी समस्या है। इस पूरे सिस्टम का उद्देश्य पारदर्शिता बनाए रखना और उपभोक्ताओं को यह भरोसा दिलाना है कि उनकी शिकायतों का समाधान निष्पक्ष तरीके से किया जा रहा है।
पहले लगते थे 15 दिन, अब होगी तेज जांच
पहले किसी उपभोक्ता की शिकायत आने पर स्मार्ट मीटर के साथ लगभग 15 दिन तक चेक मीटर चलाए जाते थे और फिर रिपोर्ट बनाई जाती थी। इससे जांच में काफी देरी होती थी और उपभोक्ताओं को लंबा इंतजार करना पड़ता था। अब विभाग ने चेक मीटर की संख्या बढ़ा दी है और जांच की अवधि को घटाकर इसे तेजी से पूरा करने की योजना बनाई है। इससे उपभोक्ताओं को अपनी शिकायत का समाधान जल्दी मिल सकेगा।