भोपाल में चर्चित ड्रग्स और दुष्कर्म कांड से जुड़े मछली परिवार की भव्य कोठी पर आखिरकार प्रशासन की कार्रवाई हो गई। हटाईखेड़ा स्थित इस आलीशान हवेली को नगर निगम और पुलिस प्रशासन ने मिलकर ध्वस्त कर दिया। नगर निगम की चार भारी-भरकम मशीनें मौके पर लगाई गईं और उनके पंजों से कोठी को तोड़ा गया। तोड़फोड़ की कार्रवाई के दौरान बड़ी संख्या में पुलिस बल, प्रशासनिक अफसर और नगर निगम अधिकारी मौजूद रहे। हवेली के अंदर बने कई कमरे, शानदार हॉल और आधुनिक निर्माण देखते ही देखते मलबे में बदल गए।
फरहान और उसके नेटवर्क की होगी गहराई से जांच
उधर, टीआईटी कॉलेज दुष्कर्म-ब्लैकमेलिंग कांड अब और गहराई से जांच के घेरे में आ गया है। इस पूरे मामले में मुख्य आरोपित फरहान और उससे जुड़े अपराध जगत के नेटवर्क पर दोबारा नजर डाली जाएगी। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने पुलिस की शुरुआती जांच को अधूरी और लापरवाह करार दिया है। इसी कारण आयोग की टीम दूसरी बार भोपाल पहुंची है। टीम ने बुधवार को पीड़ित छात्राओं से सीधे बातचीत की और उनकी समस्याएं सुनीं। इसके साथ ही अलग-अलग थानों के जांच अधिकारियों और पुलिस आयुक्त हरिनारायणचारी मिश्र से विस्तार से चर्चा कर यह बताया कि पहली जांच में किन-किन बिंदुओं को नजरअंदाज किया गया था और अब किन पहलुओं पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
क्लब-90 और आरोपितों के अड्डे का सच
मानवाधिकार आयोग की टीम इससे पहले जून में भी भोपाल आई थी। उस दौरान टीम ने इस पूरे मामले की तहकीकात में क्लब-90 का नाम प्रमुख अड्डे के रूप में सामने लाया था। टीम की सिफारिश के बाद प्रशासन ने क्लब-90 को जमींदोज कर दिया था। इसके बाद आयोग ने जुलाई में प्रदेश के मुख्य सचिव को अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसमें पुलिस की कार्रवाई को नाकाफी बताया गया था। रिपोर्ट में साफ कहा गया था कि पुलिस ने आरोपित फरहान के आपराधिक नेटवर्क और उससे जुड़े लोगों पर गंभीरता से कार्रवाई नहीं की।
संगठित अपराध की ओर इशारा
आयोग की रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया था कि फरहान का भोपाल और आसपास के जिलों में अवैध कारोबार से जुड़ा एक बड़ा संगठित नेटवर्क सक्रिय है। विशेष रूप से शारिक अहमद उर्फ शारिक मछली के साथ उसके संबंधों की जांच या तो सतही ढंग से की गई या फिर जानबूझकर अनदेखी कर दी गई। आयोग को आशंका है कि इस नेटवर्क के तार ड्रग्स, ब्लैकमेलिंग और अन्य अवैध धंधों से भी जुड़े हो सकते हैं, जिन पर अब फोकस करने की आवश्यकता है।
कॉलेज प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल
मानवाधिकार आयोग ने अपनी पिछली रिपोर्ट में यह भी कहा था कि टीआईटी कॉलेज की एंटी-रैगिंग सेल की जांच अब तक नहीं की गई है। आयोग ने सवाल उठाया कि आखिर इतनी बड़ी घटना के बावजूद कॉलेज प्रशासन की जिम्मेदारी तय क्यों नहीं की गई। इसके अलावा पीड़ित छात्राओं को आरोपितों और उनके परिवार से सुरक्षा मुहैया कराने, साथ ही उन्हें पांच-पांच लाख रुपये का मुआवजा देने की अनुशंसा भी की गई थी।
पीड़िताओं की शिक्षा का मुद्दा
आयोग ने यह भी सिफारिश की थी कि जिन छात्राओं ने डर और दहशत की वजह से अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ दी है, उन्हें दोबारा कॉलेज में दाखिला दिलवाया जाए ताकि उनका भविष्य सुरक्षित रह सके। पीड़िताओं के लिए मनोवैज्ञानिक और कानूनी मदद उपलब्ध कराने पर भी जोर दिया गया था। इसी सिलसिले में आयोग की टीम गुरुवार को अपने दौरे के अंतिम दिन फिर से पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों से मुलाकात करेगी और संभव है कि कॉलेज का भी निरीक्षण करे।